Uttar Pradesh/Alive News: यूपी में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद राजनैतिक उठापटक का दौर भी शुरू हो गया। विधानसभा चुनाव से दलीय निष्ठायें बदलने लगी हैं। सहारनपुर की राजनीति में भी बड़ा बदलाव हो रहा है, यहां की सियासी नब्ज थामने वाले काजी घराने में फिर बिखराव के संकेत मिल रहे हैं। सहारनपुर की सियासत में 46 सालों तक राज करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और नौ बार के सांसद काजी रशीद मसूद के भतीजे इमरान मसूद कांग्रेस को झटका देकर सपा में शामिल होने जा रहे हैं, तो इमरान के ही जुड़वा भाई नोमान मसूद ने रालोद (राष्ट्रीय लोकदल) को झटका देकर हाथी की सवारी करने का निर्णय ले लिया है।
नोमान दो बार गंगोह विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और दोनों बार हारे। उनकी पहले भी बसपा में शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन वह किसान आंदोलन के दौरान रालोद में शामिल हो गए, लेकिन रालोद को अपने लिए मुफीद न पाकर अब वह बसपा में शामिल हो गए हैं। दरअसल समाजवादी पार्टी ने रालोद से गठबंधन किया है। इसके चलते गंगोह विस सीट सपा के खाते में जाती हुई प्रतीत हो रही है, ऐसा माना जा रहा है कि सपा में इस सीट के जाने की संभावनाएं पुख्ता होने के कारण नोमान ने बसपा में जाने का फैसला किया।
इस सीट से नोमान मसूद ने 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। तब कांग्रेस और सपा का गठबंधन था, लेकिन इस सीट पर सपा के प्रत्याशी ने भी ताल ठोकी थी और नोमान करीब 38 हजार वोटों के अंतर से भाजपा के प्रदीप चौधरी से हार गए थे। पहले प्रदीप के पिता मास्टर कंवर पाल और फिर प्रदीप को काजी परिवार ने ही समर्थन देकर इस सीट पर विधायक बनवाया था।
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से प्रदीप चौधरी कैराना सीट से सांसद निर्वाचित हुए तो यह विस सीट खाली हो गई और उसी साल हुए उपचुनाव में नोमान ने फिर से कांग्रेस से किस्मत आजमाई, लेकिन इस बार भाजपा के कीरत सिंह से करीब 5 हजार वोटों के अंतर से हार गए। काजी नोमान मसूद अपने कार्यकर्ताओं के साथ बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए। बहुजन समाज पार्टी के कद्दावर नेता पश्चिम उत्तर प्रदेश प्रभारी शमसुद्दीन राईन के आवास गाजियाबाद में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए। गंगोह विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं नोमान मसूद।