New Delhi/Alive News : दिल्ली-मुंबई हाईवे पर जल्द ही ‘उपयोग के मुताबिक भुगतान’ पर आधारित टोल प्रणाली लागू होगी। इसके तहत मोटर चालकों से वास्तविक दूरी के आधार पर टोल वसूला जाएगा। अभी मोटर चालकों से अमूमन 60 किलोमीटर की दूरी के लिए टोल वसूला जाता है।
दूरी आधारित टोल पद्धति लागू करने का एलान बजट में किया गया था। इसे जमीन पर उतारने के लिए एनएचएआइ दिल्ली-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। इसमें सेटेलाइट के उपयोग के जरिए जीपीएस/जीएसएम तकनीक से प्रत्येक वाहन द्वारा हाईवे पर तय की जाने वाली दूरी की गणना की जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू में दिल्ली-मुंबई हाईवे पर चलने वाले 500 कामर्शियल वाहनों में इस प्रणाली को आजमाया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट एक साल तक चलेगा।
वाहन द्वारा तय की जाने वाली दूरी की गणना के अलावा प्रस्तावित प्रणाली उसी तरह कार्य करेगी जैसे सामान्य इलेक्ट्रानिक टोल प्रणाली करती है। यानी दूरी और उस पर देय टोल की गणना के साथ ही वाहन मालिक के खाते से राशि कट जाएगी और टोल गेट खुल जाएगा। काटी गई टोल की रकम चौबीस घंटे के भीतर सड़क निर्माता कंपनी यानी कंसेशनेयर के खाते में ट्रांसफर हो जाएगी। यदि किसी वजह से मोटर मालिक के खाते से राशि नहीं कटती और ट्रांजैक्शन फेल होता है तो टोल आपरेटर उससे नकद में टोल वसूलेगा और उसके बाद टोल गेट खोलेगा।