प्रदोष व्रत को शिवजी की पूजा के लिए बेहद खास माना गया है। हर महीने की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है और जब यह व्रत मंगलवार को पड़ता है तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। इस बार का प्रदोष भी भौम प्रदोष व्रत है और यह 22 जून मंगलवार को पड़ा है। इस बार का भौम प्रदोष व्रत और भी खास है।
आज ज्येष्ठ का चौथा बड़ा मंगलवार भी है। जब प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ता है तो इस दिन शिवजी की पूजा के साथ हनुमानजी की पूजा का महत्व भी बढ़ जाता है। भौम प्रदोष के दिन वे जातक जो कुंडली में मंगल दोष से परेशान हैं, बजरंगबली की पूजा करें और मंगल ग्रह के उपाय करें तो उनके कष्ट दूर होते हैं।
भौम प्रदोष की पूजा विधि
भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव की माता पर्वती के साथ पूजा करने का विधान है। विधिपूर्वक पूजन करने के लिए व्रत के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो कर रेशम के कपड़ों से मण्डप का निर्माण करना चाहिए। मण्डप में शिवलिंग या शिव परिवार का चित्र स्थापित करें। इसके बाद आटे और हल्दी से स्वास्तिक बनाएं तथा भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, मदार, दूध, दही,शहद का भोग लगाना चाहिए। पंचाक्षर मंत्र से आराधना करें तथा संकल्प लेकर पूरे दिन फलाहार करते हुए व्रत रखना चाहिए। व्रत का पारण अगले दिन चतुर्दशी को किया जाता है। भौम प्रदोष का व्रत रखने से दाम्पत्य जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा विवाह में आने वाली बाधा को भी दूर किया जा सकता है।
भौम प्रदोष व्रत का महत्व
भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की प्रदोष काल में भक्तिभाव के साथ पूजा करने से व्यक्ति को निरोगी काया का वरदान मिलता है। इसके अलावा भगवान शिव की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यह व्रत शत्रुओं पर विजय हासिल करने के लिए अच्छा माना गया है।