हिंदू कैलेंडर के छठे माह की अमावस्या ‘भाद्रपद अमावस्या’ कहलाती है, वहीं भादो माह में होने के कारण इसे भादो अमावस्या भी कहते हैं। इसके अलावा इस दिन कुश के खास महत्व के कारण इसे कुशग्रहणी अमावस्या, तो वहीं पितरों की शांति के लिए इसे पिठौरी अमावस्या का नाम भी दिया गया है।
भाद्रपद अमावस्या का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हर अमावस्या की तरह इस अमावस्या के दिन भी मंदिरों के दर्शन करने और पवित्र नदी में स्नान को विशेष माना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए पितरों का तर्पण खास माना गया है। इसके अलावा इस दिन विवाहिता महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए व्रत भी रखती हैं।
भाद्रपद अमावस्या के दिन धार्मिक कार्यों के लिए काफी फलदायी कुश (एक तरह की घास) इकट्ठी की जाती है, कुश के बिना पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता। इसके अलावा माना जाता है कि यदि किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष या इसी तरह ही कोई दूसरी दिक्कतें हैं तो उनका भी भाद्रपद की अमावस्या को निवारण किया जा सकता है।
भाद्रपद अमावस्या के कार्य व उपाय
भाद्रपद अमावस्या के संबंध में माना जाता है कि यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष है, या किसी कार्य में लगातार रुकावटें आ रही हैं, तो इस दिन ऐसे जातक को पितरों की शांति के लिए तर्पण करने से जीवन में आ रही सभी बाधाओं से मुक्ति मिलने के साथ ही पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति के जीवन में लगातार समस्याएं आ रही हैं, तो इस इस अमावस्या पर किसी गौशाला में हरी घास और धन का दान करना चाहिए। इसके अलावा भाद्रपद की अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करना अत्यंत शुभ माना गया है।
वहीं जिस जातक की कुंडली में कालसर्प दोष (राहु-केतु के कारण उत्पन्न होता है) होने पर उसे भाद्रपद अमावस्या के दिन इससे निवारण यानि छुटकारे के लिए चांदी के नाग-नागिनी नदी में प्रवाहित करने के साथ ही दान करना चाहिए।
माना जाता है भाद्रपद की अमावस्या पर हनुमान मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाने व हनुमान चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
इसके अलावा भाद्रपद अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा का भी खास मानी जाती है। मान्यता के अनुसार शनि से संबंधित चीजों का दान जैसे काला कपड़ा,काले तिल,लोहे से बनी सामग्री, सरसों का तेल और काला कंबल आदि करना शुभ माना गया है।
भाद्रपद अमावस्या के दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे आटे के दीपक में 5 बत्ती जलाने व चीनी (शक्कर) मिश्रित जल चढ़ाने को शुभ माना गया है। वहीं ये भी माना जाता है कि इस दिन पीपल की 7 या 11 परिक्रमा लगाने से धन प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार कुंडली में चंद्र ग्रह कमजोर होने पर इस अमावस्या को गाय को दही और चावल खिलाने मानसिक शांति मिलती है।