November 18, 2024

डीएवी कॉलेज में थिएटर सेमिनार का किया गया आयोजन

Faridabad/AliveNews : डीएवी शताब्दी महाविद्यालय फरीदाबाद में ‘रंगमंच की बात’ विषय को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। मंच संचालिका रेखा शर्मा द्वारा मशहूर रंगमंचकर्मी राजेश अत्रे का स्वागत किया गया। इस प्रोग्राम के मुख्य अतिथि के तौर पर राजेश अत्रे छात्रों से रूबरू हुए।

राजेश अत्रे ने छात्रों को बताया कि अपनी भावनाओं एवं अपनी बातों को कहानी के जरिए दर्शकों के समक्ष रखना ही थिएटर हैं। उन्होंने भारतीय परिवेश में थिएटर के विभिन्न परंपरागत प्रारूपों जैसे रामलीला, स्वांग, नौटंकी, जात्रा भरतनाट्यम, कथकली, कठपुतली को बताया। वहीं उन्होंने थिएटर के आधुनिक स्वरूपों जैसे नुक्कड नाटक, मोनोएक्टिंग, माइम, शैडो आर्ट, आर्केस्ट्रा, लाइट एंड साउंड को भी बताया। उन्होंने छात्रों को बताया की भरत मुनि इस संसार के सबसे पहले नाटककार रहे हैं।

एक रंगमंचकर्ता बहुत ही सेंसेटिव होता है और वह किसी भी पात्र में जान तभी डाल पाता है जब वह उसे अपने अंदर महसूस कर पाता हैं। इस पात्र को दर्शकों के सामने रखने के लिए वो नव रसों का उपयोग करता हैं। उन्होंने वीभत्स रस, हास्य रस, करूण रस, वीर रस, रौद्र रस, भयानक रस, श्रृंगार रस, अद्भुत रस व शांत रस के नाम से नौ रस बताए।

उन्होंने छात्रों को बताया की अगर आप थिएटर की पढ़ाई करना चाहते है तो आप इसके लिए बाकायदा सर्टिफिकेट कोर्स नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, डिपार्टमेंट ऑफ इंडियन थिएटर चंडीगढ से कर सकते हैं। थिएटर का क्षेत्र रोज़गार की संभावनाओं से भरा पड़ा है यदि आप थिएटर में कैरियर बनाना चाहते है तो आप काफी विकल्पों में से चयन कर सकते है जैसे डायरेक्टर, ड्रेस डिजाइनिंग, मेकअप, संगीतकार, लाइटिंग, सेट डिजाइनर आदि में से किसी को भी चुन सकते हैं।

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सविता भगत ने कहा कि थिएटर केवल अभिव्यक्ति का ही सशक्त माध्यम नहीं है बल्कि यह व्यक्तित्व को निखारने का भी एक ज़रिया हैं। थिएटर सामाजिक, व्यवाहारिक ज्ञान के साथ-साथ अनुशासन का पाठ भी पढ़ाता हैं।