Chandigarh/Alive News: हरियाणा की सरकारी नौकरियों में डी फार्मा की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए कोई जगह नहीं होगी। स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं में गुणवत्ता बढ़ाने की सोच के साथ सरकार ने डी फार्मा की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को सरकारी सेवाओं से दूर रखा है।
प्रदेश सरकार का मानना है कि देश के विभिन्न राज्यों से डी फार्मा के नकली और फर्जी डिप्लोमा हासिल करने के बाद विद्यार्थी सरकारी सेवा में नौकरी के लिए आवेदन करते हैं। इससे ना केवल योग्य युवा नौकरियों से वंचित रह जाते हैं, बल्कि कम योग्यता वाले नौकरियों में आने के बाद गुणवत्तापूर्ण सेवा प्रदान नहीं कर पाते।
हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसलिंग की सिफारिश पर प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लिया है। राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य ऐसे हैं। जहां डी फार्मा के डिप्लोमा बिना पढ़ाई के प्रदान कर दिया जाता हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब राज्य फार्मेसी काउंसलिंग के पास यह डिप्लोमा पंजीकरण के लिए पहुंचे।
फार्मेसी काउंसलिंग के चेयरमैन धनेश अदलखा इन डिप्लोमा की वैधता पर सवाल खड़े करते हुए उनके पंजीकरण पर रोक लगा दी है। यह मुद्दा राजनीतिक रूप से काफी उछला था। लेकिन धनेश मुख्यमंत्री को समझाने में कामयाब रहे। बाहरी राज्यों से डिप्लोमा करने वाले विद्यार्थी हरियाणा के काबिल युवाओं की राह में रोड़ा बन रहे हैं। सरकार ने किसी भी राज्य से डिप्लोमा करने वाले विद्यार्थियों को सिर्फ मेडिकल स्टोर खोलने मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की नौकरी के लिए योग्य माना है।