November 6, 2024

माहे रमजान का महीना शुरू, रोजेदार ध्यान रखें कुछ बातें

हिजरी कैलेंडर के नौंवें महीने को रमजान कहते हैं। इस महीने में मुस्लिम समाज के लोग रोजा रख कर खुदा की इबादत करते हैं। इस बार रमजान महीने की शुरूआत 7 जून, मंगलवार से हो चुकी है। पूरी दुनिया में फैले इस्लाम धर्म के लिए रमजान का पवित्र महीना एक उत्सव होता है।

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इस्लाम धर्म की परंपराओं में रमजान माह का रोजा हर मुसलमान खासतौर पर युवा मुसलमान के लिए जरूरी फर्ज होता है। उसी तरह जैसे 5 बार की नमाज अदा करना जरूरी है। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर ने ही यह आदेश दिया था कि रमजान अल्लाह का माह है और इसके पहले के माह से रोजा और इबादत शुरू कर रमजान में रोजा जरूर रखें। इससे अल्लाह खुश होकर हर रोजेदार की इबादत कबूल करता है।

इसलिए इस्लाम धर्म में रमजान माह में रोजा गहरी आस्था के साथ रखे जाते हैं। किंतु इस्लाम धर्म का रोजा सिर्फ भूखे या प्यासे रहने की परंपरा मात्र नहीं है। बल्कि रोजे के दौरान कुछ मानसिक और व्यावहारिक बंधन भी जरूरी बताए गए हैं।

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ये हैं रोजे से जुड़े कुछ खास नियम
1. रोजे के दौरान सिर्फ भूखे-प्यासे ही न रहें बल्कि आंख, कान और जीभ का भी गलत इस्तेमाल न करें यानी न बुरा देखें, न बुरा सुने और न ही बुरा कहें।
2. हर मुसलमान के लिए जरूरी है कि वह रोजे के दौरान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच के समय में खान-पान न करें। यहां तक कि सेक्स व या इससे संबंधित बुरी सोच से भी दूर रहें।
3. रोजे की सबसे अहम परंपराओं में सेहरी बहुत लोकप्रिय है। सेहरी शब्द सहर से बना है, जिसका शाब्दिक मतलब सुबह होता है। नियम है कि सूर्य के उदय होने से पहले उठकर रोजेदार सेहरी करते हैं। इसमें वह खाने और पीने योग्य पदार्थ लेते हैं। सेहरी करने के बाद सूर्य अस्त होने तक खान-पान छोड़ दिया जाता है। इसके साथ-साथ मानसिक आचरण भी शुद्ध रखते हुए पांच बार की नमाज और कुरान पढ़ी जाती है। सूर्यास्त के समय इफ्तार की परंपरा है।
4. इस्लाम धर्म में बताए नियमों के अनुसार पांच बातें करने पर रोजा टूट जाता है- पहली झूठ बोलना, दूसरी बदनामी करना, तीसरी किसी के पीछे बुराई करना चौथी झूठी कसम खाना और पांचवीं लालच करना।