November 25, 2024

सब्जी काश्तकारों को जोखिम मुक्त करना भावांतर भरपाई योजना का मुख्य उदेश्य : डीसी

Kurukshetra/Alive News : सब्जी काश्तकारों को जोखिम मुक्त करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने भावांतर भरपाई योजना की शुरुआत की हैं। कुरूक्षेत्र जिला में इस योजना को सुचारू ढ़ंग से लागू करने के लिए सम्बंधित विभागों ने कार्य शुरू कर दिया हें। इस संदर्भ में जानकारी देते हुए डीसी सुमेधा कटारिया ने बताया कि कि इस योजना का मुख्य उदेश्य सब्जी काश्तकारों को जोखिम मुक्त करना हैं। जिसके तहत अगर किसान की फसल तय एमएसपी से कम दाम पर बिकती है तो उसकी भरपाई राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। इस योजना में टमाटर व आलू के लिए 400 रुपए प्रति क्विंटल, प्याज व फुल गोभी के लिए 500 रुपए प्रति क्विंटल संरक्षित मूल्य तय किया गया हैं। भावांतर नामक महत्वकांशी योजना की शुरूआत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने करनाल के गांगर गांव से 30 दिसम्बर को भावांतर भरपाई ई-पोर्टल लांच करके की थी। डीसी ने कहा कि इस योजना से किसानों को सीधा फायदा मिलेगा और फसलों के विविधीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।

जिला बागवानी अधिकारी जोगिन्द्र बिसला ने योजना के क्रियान्वित करने बारे जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को इस योजना का लाभ लेने के लिए बिजाई के समय ही मार्किटिंग बोर्ड की वेबसाईट पर बागवानी भावांतर योजना पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण करवाना होगा। उद्यान विभाग के अधिकारी किसान के क्षेत्र का निरीक्षण करेंगे। पंजीकरण बिल्कुल नि:शुल्क होगा। पंजीकरण होने के बाद किसान के पास एसएमएस के माध्यम से सूचना आएगी। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि किसान को अपनी फसल जे-फार्म के माध्यम से बेचनी होगी। बिक्री का विवरण बीबीवाई पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इसकी सुविधा में सभी मार्किटिंग कमेटियों में उपलब्ध होगी। बिक्री के तय समय में किसान को तय रेट से कम भाव मिलता है तो वह भरपाई के लिए पात्र होगा। भरपाई की राशि किसान के बैंक खाते में 15 दिन के अंदर जमा करवाने का प्रावधान रहेगा।

बिसला ने यह भी बताया कि इस योजना का प्रचार-प्रसार करने के लिए पिहोवा, इस्माईलाबाद, पिपली, थानेसर, लाडवा तथा बाबैन में फलैक्स बोर्ड लगवाए गए हैं। इसके साथ-साथ किसानों की सुविधा के लिए थानेसर मंडी में हेल्प डेस्क सेंटर भी स्थापित किया गया हैं। योजना का उदेश्य में मंडी में सब्जी व फल की कम कीमत के दौरान निर्धारित सरंक्षित मुल्य द्वारा जोखिम को कम करना हैं। जोखिम की स्थिती में किसान को उसकी फसल का भाव इतना तो अवश्य मिले जितना उसका खर्च आया हैं। इन चारों फसलों के 400 से 500 रुपए तक जो भाव तय किए गए है। योजना के तहत उक्त चार फसलों पर किसान की प्रति एकड़ आमदनी 48 से 56 हजार रुपए तक सुनिश्चित करना हैं।