November 24, 2024

फीस जमा न करने पर बच्ची को आनलाइन क्लास से हटाया, हाई कोर्ट सख्त, मामले में मांगा जवाब

Chandigarh/Alive News: रोहतक की एक चार साल की छात्रा की वार्षिक फीस जमा न होने के कारण स्कूल ने उसे आनलाइन क्लास के ग्रुप से बाहर कर दिया। वह भी तब जब स्कूल का चेयरमैन खुद जिला उपायुक्त (डीसी) हैं। स्कूल की इस कार्रवाई से परेशान होकर छात्रा के पिता ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई।

मिली जानकारी के अनुसार छात्रा के पिता द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि उसकी बेटी चार साल की है। स्कूल ने वार्षिक फीस जमा न करने के चलते उसको पढ़ाने से मना करते हुए आनलाइन क्लास ग्रुप से बाहर निकाल दिया। याचिका के अनुसार स्कूल का यह कदम शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है और यह कदम गैर कानूनी है।

कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार फीस न देने पर किसी भी स्टूडेंट को पढ़ाई से रोका नहीं जा सकता, लेकिन स्कूल ने कानून व कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर उसकी छोटी बच्ची को आनलाइन क्लास के ग्रुप से बाहर कर दिया। याची ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से आग्रह किया कि वो इस बाबत आदेश जारी कर स्कूल के आदेश को रद करे।

याची पक्ष की दलील सुनने के बाद हाई कोर्ट ने मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए माडल स्कूल रोहतक के प्रिंसिपल, रोहतक के आयुक्त सह फीस व फंड रेगुलेटरी कमेटी के चेयरमैन, डीसी सह चेयरमैन माडल स्कूल रोहतक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने एडवोकेट जनरल, हरियाणा को भी इस मामले में अगली सुनवाई पर कोर्ट में पेश होकर मामले में सहायता करने का आग्रह किया।

बता दें, कोरोना काल में स्कूल बंद होने के कारण कई अभिभावक वार्षिक फीस नहीं भर पाए। कई स्कूलों ने तो आनलाइन क्लास के नाम पर औपचारिकता थी, लेकिन स्कूल वार्षिक फीस बच्चों से ले रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं। कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि फीस जमा होने पर बच्चे को शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता है।