New Delhi/Alive News : हर साल की तरह ही एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर का गैस चैंबर में तब्दील होना तय है. पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में पराली जलाने की तस्वीरें सामने आने लगी हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) के VIIRS सैटेलाइट इमेजरी में दिखाई दे रहे लाल बिंदू इस ओर इशारा कर रहे हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल राजधानी की हालत और बिगड़ सकती है. वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि इस साल उत्तर भारत के खेतों में लगी आग पिछले कई वर्षों की तुलना में अधिक तीव्र होने की संभावना है, क्योंकि इस क्षेत्र से मानसून की वापसी में देरी हुई है. उनका कहना है कि इससे राजधानी की हवा और भी ज्यादा प्रदूषित हो सकती है.
नासा के फायर मैप से पता चला है कि हरियाणा, पंजाब और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में अभी से ही पराली जलाई जाने लगी है. फायर मैप में इन इलाकों को रेड अलर्ट की तरह ही दिखाया है. हालांकि शाम होते-होते इसमें इसमें थोड़ी राहत मिलती दिखाई दी. वैज्ञानिकों का कहना है कि आसमान में बादल छाए रहने और बारिश के कारण इसमें थोड़ी राहत दिखाई दी है.
सोमवार को पंजाब और हरियाणा के जिन शहरों को लाल घेरे में दिखाया गया है उनमें अधिकांश आग अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, चंडीगढ़ और फरीदाबाद जैसे जिलों में केंद्रित थी. पाकिस्तान में ये आग ज्यादातर लाहौर, फैसलाबाद, गुजरांवाला और सरगोधा के आसपास देखी गई है. नासा के डाटा मैप पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि 1 सितंरब से 1 अक्टूबर के बीच पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं.
उदाहरण के लिए, पंजाब में, 19 और 21 सितंबर के बीच लगभग 40-50 फायर काउंट दिखाई दे रहे थे जो 26 सितंबर तक 155, 29 सितंबर को 220 के आसपास और अंत में 1 अक्टूबर को 255 तक पहुंच गया. पंजाब की तुलना में हरियाणा में पराली जलाने के मामले कम दिखाई दिए. 9 से 16 सितंबर के बीच हरियाणा में आठ से नौ आग देखी गई, जो 1 अक्टूबर को 35 हो गई.
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि मानसून की वापसी में देरी का असर सीधे तौर पर प्रदूषण पर पड़ सकता है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक 6 अक्टूबर से इस क्षेत्र में मानसून की वापसी शुरू हो जाएगी. ऐसे में किसानों को अगली बुवाई के लिए खेतों को काटने और साफ करने का समय अब काफी कम बचा है. यही कारण है कि किसानों ने अभी से पराली जलाना शुरू कर दिया है. आगे आने वाले कुछ ही दिनों में इसका असर दिल्ली-एनसीआर में देखने को मिल सकता है.