December 24, 2024

नोटबंदी से आतंकी गतिविधियों में आई गिरावट, हवाला कारोबार भी हुआ आधा

नोटंबदी के बाद किए गए सरकारी आंकलन के मुताबिक नोटबंदी से जाली नोटों और आतंकियों की फंडिंग पर लगाम लगी है. सरकारी सूत्रों ने ये दावा किया है कि 1000 और 500 के पुराने नोट बंद होने के बाद आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने में कामयाबी हासिल हुई है.

केंद्र सरकार की ओर से किए गए आंकलन से ये सभी बातें निकलकर सामने आ रही हैं. सूत्रों के मुताबिक नोटबंदी के बाद आतंकी हमलों में 60 फीसदी तक की कमी आई है. नोटंबदी के बाद घाटी में आंतकी हमले की सिर्फ एक वारदात हुई है.

हवाला करोबार पर भी नोटबंदी ने नकेल कस दी है और हवाला करोबार 50 फीसदी नीचे गिर गया है. नोटबंदी के फैसले के बाद हवाला कारोबारियों के बीच होने वाले कॉल ट्रैफिक में भारी गिरावट आई गई है.

सरकारी सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के क्वेटा में सरकारी प्रिटिंग प्रेस और कराची के सिक्योरिटी प्रेस में होने वाली जाली करेंसी की छपाई पूरी तरह से बंद होने की कगार पर है. सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान में नकली नोटों का कारोबार पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. नए करेंसी में ज्यादा सुरक्षा और डिजाइन में बदलाव की वजह से जाली करेंसी के कई ठिकानों को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है

आतंकवाद से लड़ना दुनियाभर के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल चुनौती है. ऐसे में सरकारी सूत्रों से पता चला है कि हवाला और जाली नोटों के जरिए आतंकियों की फंडिग पर पूरी तरह लगाम कसी जा चुकी है. आतंकियों के पास जमा पुराने नोट अब महज कागज के टुकड़ों के बराबर रह गए हैं.

घाटी में तनाव फैलाने के लिए पैसे देकर पत्थरबाजी कराई जाती थी. आतंकियों के सरगना स्थानीय स्तर पर अपने ऐजेंट को पैसे देते थे जो भटके हुए युवाओं को पैसे देकर सेना और सरकारी इमारतों पर पत्थरबाजी के लिए उकसाते थे. नोटबंदी के बाद पैसे की कमी के चलते घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं पर रोक लगी है. घाटी में हालात सामान्य हुए हैं और कानून व्यवस्था कायम करने में मदद मिली है.

देश के पूर्वोत्तर राज्यों में भी नोटबंदी से उग्रवादी और नक्सलियों के हौसले पस्त हो गए हैं. ज्यादातर कैश में लेने-देन करने वाले इन संगठनों पर भी नोटबंदी की वजह से लगाम लग सकी है. सूत्रों के मुताबिक नोटंबदी के बाद सरकारी एजेंसियों ने इलाके से 90 लाख से ज्यादा की करेंसी जब्त की है. जिसका इस्तेमाल देशविरोधी गतिविधियों के लिए किया जाता था. आठ नवंबर के बाद बड़ी संख्या में नक्सलियों ने सरेंडर भी किया है.