Faridabad/Alive News : सोमवार को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा का फाइनल परिणाम जारी कर दिया। जिसमें हरियाणा के सोनीपत और फरीदाबाद जिले की बेटियों ने डंका बजा दिया। इनमें फरीदाबाद सैक्टर 16 से महक जैन 17वीं रैंक, खरखौदा के गांव झरोठ निवासी प्रतिभा दहिया ने 55वां रैंक, निजामपुर निवासी उत्तम ने 121 वां, गुड़मंडी निवासी गरिमा गर्ग ने 220 वीं रैंक और सेक्टर-23 निवासी निधि ने 524 वीं रैंक हासिल की है। लाडलियों की सफलता पर परिजन फूले नहीं समां रहे। घर पर रिश्तेदारों और जान पहचान वालों का बधाई देने के लिए तांता लगा हुआ है।
तीसरे प्रयास में पाया 17वीं रैंक
फरीदाबाद की निवासी मकैनिकल इंजीनियर प्रदीप जैन की होनहार बेटी महक जैन ने हंसराज कॉलेज से स्नातक और जामिया मिलिया से एमए में पोस्ट ग्रेजुएशन करते हुए यूपीएससी की परीक्षा दी। लोकिन तब वह सफल नहीं हुई। ऐसे वक्त में उनकी माता नीलिमा जैन ने उन्हें निराश नही होने दिया और उसके बाद 2021 में महक ने दोगुनी तैयारी कर की और अपने लक्ष्य को हासिल किया। वहीं स्कूल संचालक रामरूप उर्फ कप्तान की लाडली उत्तम ने अपने तीसरे प्रयास में 121वां रैंक हासिल कर माता-पिता का नाम रोशन कर दिया। उत्तम ने सफलता का श्रेय माता राजकलां, पिता रामरूप व फूफा कर्नल रघुवीर सिंह को दिया है। उसके बाद दिल्ली में करीब 7 महीने की सिविल सेवा परीक्षा के लिए कोचिंग ली। बाद में घर पर रहकर सेल्फ स्टडी की। चार साल से सिविल सेवा की तैयारी कर रही हूं। इसके लिए रोजाना 12 से 14 घंटे पढ़ाई को दिए।
बता दें, कि अपने पांचवें प्रयास में गरिमा ने 220वां रैंक हासिल किया है। गरिमा ने अपनी 10वीं कक्षा तक की शिक्षा हिंदू विद्यापीठ से हासिल की। उसके बाद आईआईटी की तैयारी के लिए कोटा गई। वहीं डीएवी स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की। उसके बाद बिटस पिलानी से ड्यूल डिग्री की। गरिमा ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, मामा, चाचा व परिवार के अन्य सदस्यों को दिया है। गरिमा बताती हैं कि उसने परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली से एक साल तक कोचिंग की, उसके बाद सेल्फ स्टडी करती रही। सामान्य दिनों में वह 6 से 7 घंटे पढ़ाई करती थी।
परीक्षा नजदीक आने पर 10 से 12 घंटे तक पढ़ाई की। इस दौरान मां सुनीता गर्ग ने हमेशा पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए ही प्रेरित किया। कभी घर का काम करने के लिए भी नहीं कहा। गरिमा गर्ग की मां सुनीता गर्ग दिल्ली में पीजीटी हैं। वे कहती हैं कि अगर बेटियों को मौका मिले तो वो भी आसमान छू सकती हैं।