Faridabad/Alive News : मातृ दिवस के उपलक्ष्य में आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं मां पालनहार, सृजनहार ,सहनशील ,उदार हृदय वाली, वात्सल्यमई ,करुणामई ,ममतामई, जग-जननी ,पीड़ा हरने वाली, आश्रय देने वाली, अनुपम और उत्तम सुख देने वाली है मां त्याग, तपस्या और बलिदान की साक्षात्कार देवी है। मां को हम मां, मम्मा, माई ,अम्मा आदि नामों से पुकारते हैं। इसी कड़ी में धरती मां, धाएं मां, गाय मां का भी स्थान सर्वोपरि है धरती मां हमें खाद्य और पेय पदार्थ देती है गौ माता के दूध से सभी पौष्टिक आहार मिलते हैं।
धाय मां हमें पालने का काम करती है, मां उत्तम है मां छाया है, मां कभी ना बदलने वाला एहसास है। मां ही एक ऐसा शब्द है जो हर मनुष्य सबसे पहले बोलता है, मां ही प्रथम गुरु है। मां ही प्रशिक्षक और मार्गदर्शक है। दे दो मैं भी मां को देवता के समान बताया गया है मातृ देवो भव: मां अपने बच्चों को सत्य पर चलने वाला आदर्श व्यक्ति बनाती है मां भौतिक ही नहीं आध्यात्म की ओर भी लेकर चलती है। मैं राम और कृष्ण भक्त बनाने में भी अग्रणीय है मां के लिए एक ही दिन नहीं बल्कि हर दिन न्योछावर होना चाहिए।
मातृ दिवस पर मां की सेवा प्रेरणा शिक्षा और संस्कार के प्रति हमें कृतज्ञ बनना चाहिए। रामायण में भी लिखा है, कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम राम वनवास जा रहे थे तो लक्ष्मण ने भी राम के साथ बन जाने की कोशिश की लेकिन राम ने कहा कि अपनी माता सुमित्रा से आज्ञा लेकर आओ तब लक्ष्मण जी बड़े दुखी मन से आज्ञा लेने के लिए जाते हैं।
लेकिन मां पहचान लेती है, और कहती है कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सेवा के लिए भी मेरे से आज्ञा लेने की क्या जरूरत है जाओ और अपने बड़े भाई को पिता के समान समझ कर उनकी सेवा करो सही मायने में माही सेवा का मार्ग प्रशस्त करती है।
इस अवसर पर प्रसिद्ध समाजसेवी, शिक्षा मित्र, मोटिवेशनल स्पीकर डॉक्टर एम.पी.सिंह का कहना है कि, आज के भौतिकवादी युग में माता को अपने बच्चों में कुछ और संस्कार देने की भी जरूरत है। सडक़ पर मोटरसाइकिल चलाते समय हेलमेट लगाने की प्रेरणा दें और फोर व्हीलर चलाते समय सीट बेल्ट लगाने की प्रेरणा दें।
सडक़ पर कानों में लीड लगाकर या गाना सुनते हुए बच्चे ना चले। इस प्रकार के संस्कार और बच्चों में डाल दें आज जो समाज में विषमताएं फैल रही हैं, उन विषमताओं पर भी काबू तभी पाया जा सकता है जब एक आदर्श मां अपने बच्चे को शिक्षा सभ्यता और संस्कृति से युक्त बना दें भेदभाव से दूर रखें मानवीय गुणों को डाल दें और यथायोग्य सभी का सम्मान करना सिखा दे तभी मां का जीवन भी सार्थक है|
अन्यथा अधिकतर उपद्रवी लोग मां के एहसान को भी भूल जाते हैं और उसे वृद्ध आश्रम का रास्ता भी दिखा देते हैं इसका मतलब है कि कहीं ना कहीं हमारे संस्कारों में कोई कमी रह जाती है, और ऐसे अमानवीय लोग जो होते हैं। उनके जीवन में किसी प्रकार का भी सुख परमात्मा नहीं देता है, जो अपनी मां की आत्मा को दुख पहुंचाते है।
उसे अनेकों कष्ट सहन करने पड़ते हैं इसलिए हम सभी को मां का सम्मान करना चाहिए। मां का आशीर्वाद लेकर घर से निकलना चाहिए मां की चरण वंदना पूजा और आराधना करनी चाहिए।