Faridabad/Alive News(Poonam Chauhan) : अब प्रदेश के बच्चों को नया इतिहास पढ़ने को मिलेगा। बच्चे प्रदेश के इतिहास गौरव और बलिदान को बारीकी से जान पाएंगे। उन्हें अपने प्रदेश की वीर गाथाओं के बारे में बताया जाएगा। आपको बता दें कि एचबीएसई ने इतिहास के सिलेबस में कई तरह के बदलाव किए हैं अब बच्चों को गांधी के साथ-साथ सावरकर को भी पढ़ने का मौका मिलेगा। वही अब तक स्कूली बच्चे 1857 की क्रांति का आगाज मेरठ में पढ़ते थे, लेकिन एचबीएसइ की किताबों में अब 1857 की क्रांति का आगाज अंबाला पढ़ाया जाएगा। अहम बात तो यह है कि सीबीएसई की किताबों में बच्चे मेरठ ही पड़ेंगे।
एक पेज में सिमटा विदेशी आक्रमण
इतिहास में फेरबदल के बाद प्रदेश और देश के बाहर की चीजों को कम जगह दी गई है। अब विदेशी आक्रमण एक पेज पर सिमट कर रह गया है। वहीं सिंधु घाटी सभ्यता और सरस्वती नदी को विस्तार से बताया गया है। सिख धर्म परंपरा का एक पाठ जोड़ा गया है। वहीं आजादी के 50 वर्ष पर विशेष पाठ जोड़ा गया है। जिसमें आजादी के 50 सालों में देश और हरियाणा में कब और क्या हुआ इसकी जानकारी दी गई है।
संसाधन और विकास को मिली जगह
बच्चे अब लोकतंत्र की चुनौतियां, सत्ता की साझेदारी और संसाधन और विकास आदि पर भी अध्ययन करेंगे इसके लिए एक पाठ जोड़ा गया है। पुरानी इतिहास में ईस्ट इंडिया कंपनी की शोषणकारी नीतियों और उसके विरोध को भी पढ़ाया जाएगा।
इस पर क्या है अभिभावकों की राय
बच्चों को देश और प्रदेश के इतिहास के बारे में बताना अच्छा कदम है। विदेशी सरकार के बारे में जानकर बच्चे क्या करेंगे, देश के बारे में पढ़कर खुद पर गर्व करेंगे।
-शिवांगी, अभिभावक।
सिलेबस चाहे कुछ भी हो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। एचबीएससी हो या सीबीएसई बच्चों को वही पढ़ाएं जो सत्य है और आने वाले टाइम में उनके काम आए।
-अनिल कुमार, अभिभावक।
क्या कहना हैं जिला शिक्षा अधिकारी का
यह बहुत अच्छा स्टेप है पहले हमें हमारी हिस्ट्री पता होनी चाहिए। जो बच्चे जहां से बिलॉन्ग करते हैं, उन्हें उसका पता होना चाहिए। इतिहास अपने घर से शुरू होता है। हमें पहले खुद की जानकारी होनी चाहिए। सबसे पहले हमें हरियाणा का इतिहास जानना होगा फिर आगे इसे विधार्थी बढ़ाते रहेंगे। सरकार का यह कदम सराहनीय है।
-रितु चौधरी, जिला शिक्षा अधिकारी।