May 17, 2024

महामारी से जंग में प्रौद्योगिकी देश को बना रही है सक्षम: रविंद्र कुमार मनचंदा

Faridabad/Alive News: कोरोना वायरस महामारी में प्रौद्योगिकी कोविड 19 से लड़ने में भारत को सक्षम बना रही है। प्रौद्योगिकी में चिकित्सा प्रौद्योगिकी, उन्नत प्रौद्योगिकियां और विनिर्माण शामिल हैं। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद में जूनियर रेडक्रॉस, सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और गाइड्स ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में ई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया।

सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और जूनियर रेडक्रॉस प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि सोचने की बात है यदि टेक्नोलॉजी अर्थात प्रौद्योगिकी ना हो तो दूरसंचार, मेडिकल, शिक्षा, व्यापार आदि में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। देश हो या विदेश यदि विकास चाहिए तो टेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

भारत भी दिन-प्रतिदिन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास कर रहा है और हर वर्ष भारत में 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अतुलनीय योगदान देने वालों के सम्मान में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2021 की थीम एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी रखी गई है।

प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि 1998 में भारत एक उभरती हुई परमाणु शक्ति बन गया था क्योंकि 11 मई 1998 को सफलता पूर्वक परमाणु परीक्षण हुआ था और इसी सफलता को प्राप्त करने के पश्चात भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाने की घोषणा की थी। तभी से हम भारत में इस दिन को मनाते आ रहे हैं।

रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि इस परीक्षण को मूर्त रूप देने के पीछे एयरोस्पेस वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद का बहुत बड़ा हाथ था। इन्हीं के मार्गदर्शन द्वारा ही भारत परमाणु परीक्षण को सफलता से पूरा कर पाया और छठे परमाणु शक्ति संपन्न देश के रूप में उभरा था। ऑपरेशन शक्ति के अंतर्गत राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में तीन सफल परमाणु परीक्षण के बाद ही प्रौद्योगिकी दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि यह मिशन भारतीय सेना द्वारा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, परमाणु खनिज निदेशालय अन्वेषण और अनुसंधान के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया था। इन परीक्षणों ने भारत को थर्मोन्यूक्लियर हथियार और विखंडन बम बनाने में सक्षम बनाया।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर भारत के पहले स्वदेशी विमान हंसा -1 ने उड़ान भरी और डी आर डी ओ ने सतह से हवा में मार करने वाली त्रिशूल मिसाइल का परीक्षण किया। यह एक त्वरित प्रतिक्रिया समय के साथ कम दूरी की मिसाइल है। विद्यालय की छात्राओं निशा, पूजा, प्रिया और आरती ने गणित प्राध्यापिका जसनीत कौर और प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा के मार्गदर्शन में देश के वैज्ञानिकों को नमन करते हुए उनके सम्मान में पोस्टर बना कर वंदन किया।