Surajkund/Alive News : पुराने मेरठ शहर का केंद्र सूरजकुंड। यह सूखा तालाब बहुत ऐतिहासिक महत्व का है। किवदंतियों में सूरजकुंड का संबंध लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी से बताया जाता है, लेकिन इतिहासकार इसका अस्तित्व सवा तीन सौ साल से ज्यादा पुराना नहीं बताते। इसके बाद भी अंग्रेजों के समय से लेकर लोगों में सूरजकुंज का अपना एक आकर्षण बना हुआ है। सूरजकुंड के चारों ओर बने हुए मंदिर उसका ऐतिहासिक महत्व बढ़ा देते हैं। हर धार्मिक त्योहार पर श्रद्धालुओं की भीड़ इन मंदिरों में उमड़ पड़ती है। एक संस्था ने आपने शोध में बताया कि ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार सूरजकुंड का निर्माण सन् 1714 में लावड़ के सेठ जवाहरलाल ने कराया था।
सूरजकुंड के चारों ओर कई प्राचीन मंदिर बने हुए हैं। इनमें एक बाबा मनोहरनाथ का मंदिर है। लोगों में इस मंदिर की काफी मान्यता है। यह शाहजहां के समय का बना हुआ है। इसके साथ ही मां मंशा देवी मंदिर भी अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर मराठाकालीन बताया जाता है। इसके अलावा ज्ञानो सती के मंदिर की भी मान्यता है। सूरजकुंड के पास एक प्राचीन मंदिर के भी अवशेष प्राप्त हुए हैं, जिन्हें लोगों ने वहीं पर एक दीवार में चिनवा रखा है। इन अवशेषों से साबित होता है कि यहां पर आठवीं शताब्दी में कोई भव्य मंदिर रहा होगा। मंदिर की प्राचीनता के कारण ही सूरजकुंड का निर्माण कराया गया प्रतीत होता है।
अंग्रेजों के समय में सूरजकुंड के पास काफी बंदर रहते थे। इसलिए इसे अंग्रेज मंकी टैंक के नाम से पुकारते थे। महिलाओं के लिए अलग था स्नानागार सूरजकुंड को बड़े व्यवस्थित तरीके से बनवाया गया था। महिलाओं के स्नान करने के लिए वहां पर अलग स्नानागार बनवाया गया था। जिसका पत्थर वहां पर आज भी लगा हुआ है। अंग्रेजों ने सूरजकुंड में पानी भरने के लिए भेला की झाल से यहां तक पाइप लाइन डलवाई थी। उसके जरिए तालाब को भरा जाता था। यह पाइप लाइन आज भी जमीन के भीतर मौजूद है। सूरजकुंड के आसपास बड़ी संख्या में धर्मशालाएं भी बनी हुई थी। मंदोदरी से भी जुड़ा है इतिहास किवदंती है कि सूरजकुंड मयराष्ट्र के शासक मय दानव के समय में भी था। मय दानव की पुत्री और लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी सूरजकुंड में स्नान किया करती थी। गौरतलब है कि मेरठ का प्राचीन नाम मयराष्ट्र बताया जाता है।
मयराष्ट्र नाम मय दानव के नाम पर ही पड़ा था। मंदोदरी से जुड़ा होने के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोग सूरजकुंड को देखने के लिए भी आते हैं। एमडीए ने कराया था सौंदर्यीकरण करोड़ों रुपए की लागत से मेरठ विकास प्राधिकरण ने सूरजकुंड का जीर्णोद्धार तो करा दिया। लेकिन उसकी देखभाल के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की। ना तो सूखे तालाब में पानी भरने को कोई सरकारी विभाग तैयार है और ना ही सूख रहे पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी उठाने के लिए। इस बारे में अधिकारी चुप्पी साध जाते हैं।
तालाब का अस्तित्व हुआ समाप्त ऐतिहासिक सूरजकुंड का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है और यहां पर ताल जैसी कोई चीज दिखाई नहीं देती। सूरजकुंड की लोकप्रियता को देखते हुए ही इतिहासकारों ने सूखे पड़े तालाब में फिर से पानी भरने की मांग उठाई है। तालाब को पानी से भरकर इसकी रौनक लौटाई जा सकती है। इसका असर आसपास के जलस्तर पर भी पड़ेगा। इसके लिए जिलाधिकारी के स्तर पर भी प्रयास किए जा रहे हैं।