Faridabad/Alive News: हरियाणा सरकार द्वारा मॉडल संस्कृति स्कूलों के लिए बनाये गए नियम गरीब तबके के बच्चों तथा अभिभावकों के गले की फ़ांस बन रहा है। ऐसा ही एक मामला एनआईटी तीन स्थित मॉडल संस्कृति स्कूल से सामने आया है। जहां सरकार द्वारा मॉडल संस्कृति स्कूल में पचास प्रतिशत एड्मिशन की नीति के कारण आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थी दाखिले से महरूम हो रहे है।
दरअसल, मॉडल संस्कृति स्कूलों में सरकार ने पचास प्रतिशत बच्चों के दाखिले के आदेश दिए है। पचास प्रतिशत में 25 प्रतिशत अन्य स्कूलों के तथा 25 प्रतिशत दूसरी ब्रांच के सरकारी स्कूलों के बच्चों का दखिला होगा। ऐसे में सरकार के इस फैसले से सरकारी स्कूलों के बच्चों को दाखिला मिलने की बजाय मायूस होकर घर लौटना पड़ रहा है। आज एनआईटी तीन स्थित मॉडल संस्कृति स्कूल में पढ़ने वाले सातवीं कक्षा के छात्र रवि को सीट न मिलने के कारण खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।
रवि की मां अनीता देवी ने बताया कि वह अनुसूचित जाति से संबंध रखते है और उनका बेटा एनआईटी तीन स्थित मॉडल संस्कृति स्कूल की कक्षा सातवीं में इंग्लिश मीडियम का छात्र है जो अब पास होकर आठवीं में पहुंच गया है। उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। वह कोठियों में दिनभर झूठे बर्तन साफ कर बड़ी मुश्किल से घर का गुजारा चला रही है।
ऐसे में जब वह अपने बच्चे का दाखिला कराने मॉडल संस्कृति स्कूल पहुंची तो अध्यापकों ने उन्हें स्कूल में सीट न होने का हवाला देते हुए अन्य राजकीय स्कूल में जाने के लिए कहा। अनीता देवी का कहना है कि उनका बेटा रवि पढ़ाई में अच्छा है पिछली कक्षा में उसने 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किये है। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण वह रोज के आवागमन का खर्चा भी नहीं उठा सकती है।
एक तरफ प्रदेश सरकार राजकीय स्कूलों में बेहतर शिक्षा प्रदान करने और विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के प्रयास में जुटी हुई हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनके स्कूलों से आने वाले ऐसे मामले उनपर सवाल खड़े कर रहे है। क्योंकि सरकारी स्कूलों में जरूरतमंद बच्चों को दाखिले से वंचित रखा जा रहा है और निजी स्कूलों से आने वाले बच्चों को दाखिला प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जा रही है। ऐसे में अध्यापकों द्वारा किये गए ऐसे कार्य उन्हें सवालों के कटघरे में खड़े कर रहे हैं कि कहीं संस्कृति मॉडल स्कूलों की ये सीटें भ्रस्टाचार की भेंट तो नहीं चढ़ रही। ये जांच का विषय है।
क्या कहना है प्रिंसिपल का
स्कूल में आने वाले सभी बच्चों का दाखिला होगा। यदि किसी अध्यापक ने किसी अभिभावक को उसके बच्चे के दाखिले के लिए मना किया है तो अध्यापको से बातचीत कर उन्हें इस बारे में समझाया जाएगा। स्कूल में आने वाला कोई भी विद्यार्थी दाखिले से महरूम नहीं रहेगा
परेश गुप्ता, प्रिंसिपल मॉडल संस्कृति स्कूल, एनआईटी तीन।
क्या कहना है जिला शिक्षा अधिकारी का
राजकीय स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है और बैठक के जरिये सभी सरकारी स्कूलों के मुखियाओं तथा अध्यापकों को दाखिला संबंधित जानकारी दी जा रही है। स्कूल में आने वाले सभी बच्चों का दाखिला होगा। जरुरत पड़ी तो सेक्शन भी बढ़ाए जाएंगे। यदि स्कूल संचालक ऐसा नहीं करता तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
रितु चौधरी, जिला शिक्षा अधिकारी फरीदाबाद।