November 24, 2024

ध्यान-कक्ष की शोभा देखने पहुंचे फरीदाबाद के विद्यार्थी

Faridabad/Alive News : ध्यान-कक्ष की शोभा देखने आए फरीदाबाद के विद्यार्थियों को आज मानवता के विषय में समझाते हुए कहा गया कि हम ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कलाकृति मानव हैं। मानव होने के नाते मानवता ही एकमात्र हमारा अपना व मु2य धर्म है। जानो कुदरत प्रदत्त यह धर्म नित्य है, अपने आप में परिपूर्ण है, निर्द्वन्द्व है, निर्विवाद है व सदाबहार है यानि परिस्थितियों के अनुसार कभी बदलता नहीं अपितु हर समयकाल में एकरस बना रहता है और सपूर्ण मानव जाति को समभाव-समदृष्टि की युक्ति अनुरूप, एक भाव-भावना-नज़रिया व स्वभाव अपना कर, आत्मियता के व्यवहार में ढ़ल, एकता में बने रहने का संदेश देता है। इस तरह यही मानवता ही समस्त सद्‌गुणों का बीज है जो सदा हृदय में विद्यमान रहता है और शब्द ब्रह्म विचारों से सींचने पर मानवीय चरित्र के रूप में फलता-फूलता है। युक्तिसंगत की गई इस सिंचाई से हृदय की समुच्चय व्यवस्था का वातावरण विशुद्ध बना रहता है फलत: मानव की वृत्ति, स्मृति, बुद्धि व भाव-स्वभावों का ताना-बाना निर्मल बना रहता है।

इंसानियत में आने के लिए, आध्यात्मिक विद्या को पढ़-समझ कर, अंतर्विद्यमान मानवता रूपी गुण का निपुणता से विकास करते हुए उसका प्रयोग करने की कला सीखनी आवश्यक है। इस कला में पारंगत बनाने हेतु इस ध्यान-कक्ष यानि समभाव समदृष्टि के स्कूल से सारा प्रयत्न चल रहा है। अत: आप सब भी नैतिक पतनता से उबर मानवता में आने हेतु इस स्कूल में आओ और आत्मिक विद्या ग्रहण कर अच्छे मानव बन जाओ। कहने का आशय यह है कि ताकतवर होकर बुराईयों से ऊपर उठो व मानव धर्म पर स्थिर बने रह, अपने मन को पुन परमानन्द प्रदान करने वाली परमशक्ति का अनुभव करा, पराक्रमी बन जाओ।

इसके अतिरिक्त उपस्थित सभी विद्यार्थियों को शब्द है गुरु, शरीर नहीं है’, इस की महत्ता से भी अति खूबसूरत ढंग से परिचित कराते हुए कहा गया कि गुरु मान अंतर आत्मा में स्थित परमात्मा से अपना सीधा नाता जोड़ो। ऐसा इसके अतिरिक्त किसी दूसरे को यानि तस्वीर, मूर्ति या शरीरधारी को गुरु मानने का अर्थ है आत्मतत्व से नाता तोड़ मिथ्या तत्वों से समबन्ध जोड़ आध्यात्मिकता के मार्ग से भटक जाना अर्थात‌ अज्ञानियों की तरह सांसारिक स्वार्थपूर्ण अन्तहीन इच्छाओं की ओर आकर्षित हो मृतलोक में आवागमन के दुष्चक्र में फँसे रहना। परन्तु हमें इस भवचक्र में नहीं फँसना इसलिए हमें श4द से अपना नाता जोडऩा है।