Chandigarh/Alive News : दंगल गर्ल्स गीता और बबीता फौगाट के गांव बलाली में जागरूकता की बदौलत लिंगानुपात में बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन आठवीं से आगे की पढ़ाई के लिए आज भी विद्यार्थियों को पास के गांव झोझू जाना पड़ रहा है। करीब 60 बेटियों को पढ़ाई के लिए 3.5 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। वहीं ग्रामीणों के मुताबिक सरकार को अब गांव का मिडिल स्कूल अपग्रेड कर सीनियर सेकेंडरी बनाना चाहिए, जिससे बेटियों को शिक्षा ग्रहण करने में दिक्कत न आए।
बता दें, कि गीता और बबीता ने संसाधनों की कमी के बावजूद अपने संघर्ष के बलबूते भारत में महिला कुश्ती को नई दिशा दी। उनकी चचेरी बहन विनेश फौगाट ने भी अपने दमदार खेल कौशल से कई पदक जीतकर गोल्डन गर्ल की ख्याति हासिल की।
इन प्रतिभावान बेटियों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांव का डंका बजवाने के बाद भी बलाली गांव शिक्षण संस्थान की कमी समेत पेयजल संकट और जर्जर फिरनी जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। जानकारी के मुताबिक प्रतिदिन 125 विद्यार्थी अपने स्तर पर साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी तय कर झोझू पढ़ने जाते हैं और इनमें करीब 60 बेटियां हैं।
बलाली में करीब 500 घर हैं और गांव की आबादी चार हजार है। नौ साल पहले जन स्वास्थ्य मंत्री किरण चौधरी और सांसद श्रुति चौधरी ने उद्घाटन किया था। ग्रामीणों के अनुसार 9 साल बीतने पर भी इस जलघर से गांव में आज तक पानी की आपूर्ति नहीं हुई है जबकि जलघर कंडम हो चुका है। ग्रामीण 3 किलोमीटर दूर झोझू खुर्द में किए गए बोरिंग ट्यूबवेल का पानी पी रहे हैं, जिसकी गुणवत्ता बेहद खराब है। जलघर के निर्माण के बाद इसे नहर से जोड़ने के लिए पाइप लाइन डाली जानी थी। जो आजतक नहीं डाली गई हैं।