Faridabad/Alive News: गेहूं की फसल कटने के बाद जिले में किसानों ने पराली जलानी शुरू कर दी है। महामारी के इस दौर में पराली जलने से वायु प्रदूषण तो फैलेगा ही साथ में संक्रमित मरीजों के लिए मुसीबत बढ़ सकती है।
दरअसल, जिले में कोरोना अपना कहर बरपा रहा है। लगातार मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। जिले में काफी संख्या में मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर है और काफी समय से ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहे है। ऐसे में किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली आमजन के साथ साथ कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की मुसीबत बढ़ा सकती है।
फैलता है वायु प्रदूषण
अक्सर किसान कटी हुई फसल के बाद बचे अवशेषों में आग लगा देते है। इससे निकलने वाला धुआं वायु में प्रदूषण के स्तर को बढ़ा देता है। जिससे आमजन के साथ साथ श्वास रोग से पीड़ित लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है। आज महामारी में दौर में ऑक्सीजन की परेशानी से जूझ रहे कोरोना वायरस के मरीजों के लिए पराली से निकलने वाला धुआं मुसीबत बन सकता है और उनकी परेशानी दोगुनी कर सकता है।
सजा का है प्रावधान
एनजीटी ने पराली जलाना अवैध घोषित किया हुआ है। इसे जलाने पर प्रति हेक्टेयर 2500 रुपये का चालान किया जाता है। जानकारी के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर-नवंबर महीने में पराली जलाने वाले लगभग 120 किसानों के चालान कर दो लाख 95 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था।