मोदी की राजनैतिक चतुराई और छूट गया स्मृति से पीछा
नरेंद्र मोदी ने अपनी राजनैतिक चतुराई का परिचय दिया है. अगले साल होने वाले चुनाव खासतौर पर उप्र, उत्तराखंड और पंजाब को लेकर इस फेरबदल के संकेत दिये जा रहे थे, लेकिन इस अवसर का इस्तेमाल कर प्रधानमंत्री ने मोटे तौर पर बार-बार अपनी सरकार के लिए परेशानियां खड़ी करनी वाली स्मृति ईरानी से पीछा छुड़ा लिया. उन्हें कपड़ा मंत्रालय दिया गया है. एचआरडी का ज़िम्मा प्रकाश जावड़ेकर को दिया गया है जो कि कमोबेश शांत माने जाते हैं.
प्रकट तौर पर ये कहा जा सकता है कि स्मृति को उप्र में कांग्रेस की भावी चुनौती यानी प्रियंका अथवा शीला दीक्षित के लिए फ्री किया गया है लेकिन लगता है उन्हें कपड़ा मंत्रालय देकर सीधे सीधे ठिकाने लगा दिया गया है.
संकेत साफ है मोदीजी को केवल संसद और सभाओं में बड़बोले बयान देने वाले नेता पसंद हैं ना कि क्रांति यानी कांट्रोवर्सी क्रिएट कर सरकार को परेशानी में डालने वाले. रोहित वेमुला मामले पर सरकार की खासी किरकिरी हुई थी, फिर कन्हैया कुमार विवाद, पॉलिसी मामलों में फेरबदल के बाद शिक्षाविदों से सरकार की नोकझोंक, इन सबने सरकार को आलोचनाओं के केंद्र में ला खड़ा किया था, और इस सबका जिम्मेदार स्मृति को माना गया.
इसके अलावा अकसर स्मृति के भीतर का कलाकार बाहर आ जाता था और सरकार को उपहास का पात्र बनना पड़ता था. कम से कम अब अपने इस कार्यकाल में पीएम को ऐसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. यानी सबसे ज्यादा घाटे में अगर कोई रहा है तो वो हैं स्मृति ईरानी.
इस फेरबदल में शिवसेना को किनारे रखकर कड़ा मैसेज दिया गया है. उत्तर प्रदेश से ब्राम्हण वोट बैंक के लिए महेंद्रनाथ पांडे, दलित वोटों के लिए कृष्णा राज और कुर्मी वोट बैंक के लिए अनुप्रिया पटेल को शामिल किया गया है. अनुप्रिया को कैबिनेट में स्मृति की काट के रूप में भी देखा जा रहा है. परफार्मेंस के आधार पर अच्छे काम के लिए मनोज सिन्हा को संचार के साथ स्वतंत्र प्रभार दिया गया है.
मप्र से प्रतिनिधित्व बढ़ाना शिवराज सिंह चौहान की पेशानी पर बल देने की कवायद लगती है. शेष नेताओं के नाम अमित शाह की ‘गुड बुक्स’ से लिये गए हैं.