Kurukshetra : श्रद्धालुओं ने सोमवती अमावस्या पर पवित्र ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर व सरस्वती तीर्थ पर स्नान कर दान किया। सुबह सूर्योदय के साथ ही स्नान आरंभ हो गया। श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के निमित पिंडदान किए और सरोवर किनारे बैठकर पूजा-पाठ किया।
विभिन्न आश्रमों में सत्संग का आयोजन हुआ। प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर में खीर का भंडारा दिया गया। वहीं गुरुद्वारा छठी पातशाही में भी शबद कीर्तन हुआ। बड़ी संख्या में पहुंची संगत ने गुरु की महिमा का गुणगान सुना।
सोमवार के दिन अमावस्या का शास्त्रों में विशेष महत्व है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव के दर्शन करके पूजन करने का विशेष महत्व है। पुरुषार्थ चिंतामणि के अनुसार इस योग को पुष्कर योग भी कहा जाता है। ऐसा कभी कभी होता है इस योग में किया पुण्य दान सूर्य ग्रहणों में किए पुण्य कमरें का सौ गुना फल मिलता है।
यह अमावस्या अनंत फल देने वाली और इसमें किया। श्राद्ध पितरों को आनंत फल देने वाला और अक्षय होता है। इस विशिष्ट योग में पितृ शाति,संपदा संबंधी परेशानी, लड़के-लड़की के विवाह में देरी, संतान दोष, कलह शाति, अध्यात्मिक शाति, स्नान, दान, जप, पाठ का विशेष महत्त्व होता है