Chandigarh/Alive News: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के चेयरमैन जस्टिस एके गोयल ने कहा कि उद्योगों का गंदा पानी, कस्बों-शहरों और गांवों के सीवरेज का पानी न केवल हमारी पवित्र नदी गंगा बल्कि देश की सभी नदियों को प्रदूषित कर रहा है। रविवार को प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल के सुल्तानपुर लोधी स्थित निर्मल कुटिया में पर्यावरण पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे जस्टिस गोयल ने सॉलिड वेस्ट और सीवरेज के गंदे पानी का उचित समाधान खोजने में विफल रहने पर राज्य सरकारों की आलोचना की।
देश के पांच राज्यों से गुजरने वाली पवित्र गंगा नदी के बारे में गोयल ने कहा कि केंद्र ने स्वच्छ गंगा मिशन के तहत संबंधित राज्य सरकारों को 25 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए थे, लेकिन अभी तक किसी भी राज्य सरकार ने गंदे पानी और औद्योगिक प्रवाह को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए हैं। उन्होंने बताया कि सभी राज्य सरकारों को गंगा की सफाई पर खर्च का हिसाब-किताब देने के लिए एनजीटी ने गंगा स्वच्छ मिशन के प्रमुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को व्यय रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
उन्होंने खुलासा किया कि हवा और पानी की गुणवत्ता इस हद तक खराब हो गई है कि यह खतरनाक स्तर पर है और अब हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह पर्यावरण को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी ले और इसे प्रदूषित करने वालों खिलाफ खड़े होकर विरोध करें। उन्होंने कहा कि एनजीटी की ओर से राज्य सरकार पर कई हजार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाना प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तब तक पर्याप्त नहीं होगा जब तक कि जनता खुद को जागृत न करे और इसके खिलाफ आवाज न उठाए।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह(केजरीवाल) दावा कर रहे हैं कि कुतुब मीनार तक पहुंच चुके गाजीपुर के कूड़े के पहाड़ को खत्म कर दें लेकिन वह अभी तक यमुना को तो साफ कर नहीं पाए हैं, जो उनके राज्य के अधिकार क्षेत्र में आती है।
पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय सेवानिवृत्त जस्टिस प्रीतम पाल ने कहा कि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए लोगों को प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस जसबीर सिंह, जो पंजाब एनजीटी के चेयरमैन हैं, ने भी जनता से पर्यावरण को मुद्दा बनाने की अपील की।