November 17, 2024

ध्यान कक्ष में सिखाया जा रहा आत्मसयम बनने का गुण

Faridabad/Alive News : सतयुग दर्शन प्रमुख पर्यटक स्थल, ध्यान- कक्ष द्वारा आजकल समाज को अनुशासित जीवन जीने की राह पर प्रशस्त करने का उत्तरदायित्व बड़े ही कुशल तरीके से निभाया जा रहा है। इसी दिशा में जीवन को उचित मार्ग पर प्रशस्त करने के इच्छुक विभिन्न वर्गो के सदस्यों के झुंड वहां नित्य ही देखने को मिलते हैं। इसी संदर्भ में आज भी ध्यान-कक्ष में फरीदाबाद के ग्लोबल ओरफनेज ट्रस्ट के बच्चे व सहयोगी, गुरुग्राम की योगा टीम एवं विभिन्न बीएड कालेज के लैक्चरार्स एवं छात्राएं पधारी हुई थी। यहां उपस्थित सज्जनों को समझाया गया कि युग की हालत को देखते हुए अब आवश्यकता है संभलने की और संभालने की। अत: समभाव-समदृष्टि की युक्ति के अनुशीलन द्वारा अपने आप को, अपने परिवार को व सारे समाज को संभालना है। इसके लिए कदम-कदम पर आत्मनिरीक्षण करते हुए, आत्मसंयम अपनाने की विशेष आवश्यकता है।

यहां के विषय में बताते हुए सजनों को यह स्पष्ट किया गया कि अपने मन, चित्त व बुद्धि को निर्मल व शुद्ध बनाने हेतु यानि भीतरी इन्द्रियों की स्वच्छता बनाए रखना सर्वोपरि है। जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता जबकि एकमात्र इसकी स्वच्छता से ही मनुष्य के भाव, स्वभाव, वृत्ति, स्मृति, धारणा, निश्चय इत्यादि परिशुद्ध हो सकते हैं। इसीलिए संयम को ध्यान, धारणा व समाधि का अचूक साधन भी माना गया है और कहा गया है कि केवल इसी साधन द्वारा ही मनुष्यों में इन्द्रिय लालसा और भोगभाव मर्यादित रह सकते हैं तथा मन, वचन, कर्म की निर्मलता बनी रह सकती है।

अंत में समझाया गया कि समभाव अपना कर हर प्रकार की विकार-वृत्तियों व भेदभाव से ऊपर उठने वाला, समदृष्ट, आत्मानुशासित, जितेन्द्रिय, निर्विकारी साधक ही हर अवस्था व परिस्थिति में एकरस व एकरूप बना रह सकता हैं और जीते-जी जन्म-मरण पर विजय प्राप्त कर, परमगति को प्राप्त कर सकता है। इस महत्ता के दृष्टिगत आप भी समभाव-समदृष्टि दा सजनों दिल में अमल लियाओ, दिल में अमल लिया के सजनों, दिल में अमल कमाओ, दिल नाल दिल मिलाओ। यहां हुई सब बातचीत को सुन-समझ कर उपस्थित सदस्यों ने कहा कि वसुन्धरा कैम्पस व निर्मित समभाव-समदृष्टि के स्कूल की भव्य शोभा वास्तव में कमाल है।