Education /Alive News: छात्रवृति के नाम पर घोटाला करने वाले कई मामले सामने आये यहीं । विजिलेंस विभाग ने अपनी जांच में इसकी पुष्टि की है। वर्ष 2014-15 और 2015-16 में पंजाब के विभिन्न कॉलेजों में कई कोर्सों में फर्जी दाखिले दिखाकर दलालों ने यह राशि हड़पी। दो साल में 2000 से ज्यादा विद्यार्थियों के फर्जी दाखिले दिखाए गए थे। एक छात्र को 30 से 35 हजार रुपये छात्रवृत्ति सरकार की ओर से दी जाती है।
इस गोलमाल में विभाग के कर्मचारियों के साथ बैंक कर्मियों की भी मिलीभगत बताई जा रही है। विजिलेंस को प्रदेश सरकार की ओर से यह जांच सौंपी गई थी। कई सालों से इस मामले में जांच चल रही है। अब जांच अंतिम चरण में पहुंच गई है। जल्द ही इस मामले में गोलमाल करने वालों पर कार्रवाई विजिलेंस की तरफ से हो सकती है।
एएनएम व जीएनएम कोर्सों में दिखाया गया दाखिला
घोटाला की जांच में सामने आया कि गोलमाल करने वाले लोगों ने पंजाब के विभिन्न कालेजों में एएनएम व जीएनएम के कोर्सों में दाखिला दिलाया गया। इन कोर्सों के कालेजों की संख्या स्थानीय स्तर पर कम है, इसलिए दूसरे राज्य में दाखिला दिलाते हुए विभाग से छात्रवृत्ति ले ली। विजिलेंस की जांच ने जब मामले से जुड़े विद्यार्थियों को बुलाकर पूछताछ की।
उन्होंने बताया कि उन्हें जानकारी ही नहीं है कि उनका दाखिला किस कालेज में है और छात्रवृत्ति उन्हें सरकार की तरफ से दी जानी है। ठगी करने वाले लोगों ने ज्यादातर अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों के फर्जी दाखिले दिखाकर यह राशि हड़पी है, क्योंकि बीसी वर्ग के बच्चों को कम व एससी वर्ग के बच्चों को राशि ज्यादा दी जाती है। विजिलेंस अभी तक ऐसे 250 बच्चों को जांच में शामिल कर चुकी है।
पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में भारी गोलमाल हुआ है। कुछ लोगों ने संस्था बनाते हुए फर्जी तरीके से बच्चों के दाखिले दिखाकर राशि को हड़पा है। जो इस राशि के सही हकदार हैं, उन बच्चों को इसका लाभ न मिलकर ठगी करने वाले लोग इसका फायदा उठा रहे हैं। सरकार को चाहिए कि इस घोटाले की बारीकी से जांच हो। इसमें जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।