Poonam Chauhan/Alive News : एसी नगर की रहने वाली ‘साक्षी सौरोत’ ने एक बार फिर राज्य स्तर पर सिल्वर मेडल जीतकर जिले का नाम रोशन किया। रोहतक जिले में प्रोस्क्टे द्वारा आयोजित तीन दिवसीय एसजीएफआई-हरियाणा स्टेट स्केटिंग चैंपियनशिप में साक्षी ने अच्छा प्रदर्शन किया और पूरे राज्य में सेकंड पोजिशन लेते हुए सिल्वर मेडल हासिल किया। सातवीं कक्षा की साक्षी में अपने उम्र के बच्चों से अधिक एनर्जी और स्टैमिना मौजूद है, जिसके दम पर 11 साल की उम्र में साक्षी 15 गोल्ड और 8 सिल्वर मेडल के साथ ही 7 ब्रोंज मेडल भी प्राप्त कर चुकी है।
– पार्किंग में करनी पड़ती है प्रैक्टिस
सैक्टर-12 खेल परिसर में अधिकारियों की इजाजत न मिल पाने के कारण साक्षी को पार्किंग में ही स्केटिंग प्रैक्टिस करनी पड़ती है, जिस कारण हरियाणा स्टेट स्केटिंग चैंपियनशिप के कुछ दिनों पहले ही वह पार्किंग में प्रैक्टिस के दौरान बुरी तरह से जख्मी हो गई थी, जिसका असर चैंपियनशिप के दौरान देखने को मिला और जिले को सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा।
– प्रैक्टिस को नही करती मिस
साक्षी का कहना है कि जब तक वह स्केटिंग प्रैक्टिस के लिए नहीं जाती है, उन्हे लगता है कि वह कुछ मिस कर रही है, वहीं खेल उसे हर रोज जहां नई ऊर्जा और शक्ति देता है, वहीं खेल से उसे और परिवार को सम्मान भी मिलता है। इसी कारण से जिले का नाम साक्षी ने पूरे देश में चमकाया है।
– बचपन से स्केटिंग का ‘क्रेज’
साक्षी के पिता सतीश कुमार का बाटा रोड़ पर निजी क्लीनिक है, जोकि उनके व्यवसाय का एकमात्र साधन है। उन्होंने बताया कि साक्षी ने पांच साल की उम्र से ही स्केटिंग खेलना शुरू कर दिया था, वह अकसर अपने भाई सौरभ सौरोत के साथ प्रैक्टिस किया करती थी और उन्होंने अपना पहला मैच फरीदाबाद जिले में ही खेला और जीत हासिल की। साक्षी रोजाना 10 घंटे अपनी स्केटिंग प्रैक्टिस को देती है, साक्षी प्रैक्टिस के लिए सुबह 4 बजे से लेकर 6 बजे तक ग्राउड प्रेक्टिस के लिए नोएडा और कभी सैक्टर-12 खेल परिसर जाती है वहीं शाम की प्रैक्टिस 6 बजे से लेकर 8 बजे तक होती है, इसके लिए उसे रोज दिल्ली(जसोला) जाना होता है। उन्होंने बताया कि साक्षी स्केटिंग को तैयार काफी गंभीर है, वह अपने भाई के साथ रोज प्रैक्टिस करती है और इंटरनेशनल गेम्स में पहुंचना चाहती है, हम उसकी इस कामयाबी से काफी खुश है।
– साक्षी का ड्रीम
साक्षी का कहना है कि इंटरनेशनल लेवल पर खेलना और देश का नाम रोशन करना ही मेरा ड्रीम है और मैं अपने ड्रीम को हासिल करने के लिए पूरी कोशिश कर रही हूं। स्केटिंग मेरा ख्वाब और मेरा पैशन है और मैं इसमें कामयाबी हासिल करके ही रहूंगी, चाहे इसके लिए मुझे कितनी ही मेहनत क्यों न करनी पड़े।
– परिवार की आय का साधन
साक्षी के पिता सतीश कुमार का कहना है कि वह बेटी की इस जीत से काफी खुश है और अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर उसे खेलते हुए देखना चाहते है। उन्होंने बताया कि वह होडल के रहने वाले है और पिछले 15-16 सालो से बाटा चौक की स्लम बस्ती में परिवार के साथ गुजर बसर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका एक क्लीनिक(सौरात क्लीनिक) है जोकि परिवार के रोजगार का एक मात्र साधन है।
– क्या कहते हैं कोच?
डी.सी.मॉडल स्कूल के कोच एच.सी.शर्मा ने बताया कि साक्षी इंटरनेशनल लेवल पर अपनी जगह बनाना चाहती है, इसके लिए वह रोज 5 किलो.मी. ग्राऊड और 30 किलो.मी. स्केटिंग प्रेक्टिस करती है। स्कूल साक्षी को वह सारी सुविधाएं मुहैया कराता है जिसकी उसे आवयश्कता है। इसके साथ ही उस पर पढ़ाई का कोई एक्सट्रा बर्डन नहीं डाला जाता है।
-वहीं दीक्षा कोचिंग एकेडमी के कोच प्रदीप भाटी का कहना है कि साक्षी उनसे स्केटिंग की ट्रेनिंग पिछले डेढ़ साल से ले रही है, उसमें सिखने की लगन के साथ ही उसका कॉन्फिडेंस लेवल काफी हाई है और वह अपने गोल से कभी पीछे नहीं हटती है, इसलिए वह कोचिंग में बाकी ट्रेनर खिलाडिय़ों के लिए चुनौती बनी रहती है।
– स्कूल स्टार बनी साक्षी
डी.सी.मॉडल स्कूल के डायरेक्टर पवन गुप्ता ने साक्षी की कामयाबी पर उसे बधाई दी और कहा कि साक्षी प्रतिभावान छात्रा है, हर फील्ड में उसकी मजबूत पकड़ है, निश्चित ही उसे अपनी मंजिल पाने में दिक्कत नहीं आएगी। वहीं स्कूल की प्रिंसीपल ज्योति गुप्ता ने साक्षी की इस जीत पर उसे बधाई दी और साथ ही उसके उज्जवल भविष्य की कामना की। स्कूल की प्रबंधिका आस्था गुप्ता ने बताया कि साक्षी खेल के साथ ही पढ़ाई में भी उतनी ही एक्टिव है, जितनी की गेम्स में है, इसके साथ ही वह हमेशा अच्छे माक्र्स लेती है। उन्होंने बताया कि साक्षी को स्कूल की तरफ से हर सुविधा मुहैया कराई जाती है और उसकी फ्री एजुकेशन के साथ ही उसे स्कोलरशीप भी दी जा रही है। स्कूल इस तरह के होनहार छात्रों को सम्मानित करने के साथ ही उनकी आर्थिक मदद भी करता है।