Chandigarh/Alive News: हरियाणा में पानी पीने के लायक नहीं है। पेयजल को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। विधानसभा के मानसून सत्र में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में पीने के पानी में मेंढक, शैवाल, कौलीफॉर्म बैक्टीरिया मिले हैं। रूलर एंड अर्बन वाटर सप्लाई स्कीम के ऑडिट में सीएजीने पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (13), अर्बन लोक बॉडी (8) हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (4) द्वारा 25 स्थानों पर जल आपूर्ति के नमूने लिए गए।
नमूनों का एक सेट करनाल में सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग (PHED) प्रयोगशाला में भेजा गया था और दूसरे सेट को विश्लेषण के लिए श्री राम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च (SRI) नई दिल्ली भेजा गया था। CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2016-21 के दौरान जलजनित बीमारियों के 2,901 मामले राज्य में आए हैं। इसके साथ ही दूषित जल पीने से सूबे में 14 मौत हो चुकी हैं। 8 चयनित जिलों में से 4 (फतेहाबाद, करनाल, कुरूक्षेत्र और पंचकूला) में 2016-21 के दौरान जल-जनित बीमारियों के 1382 मामले मिले, जिनमें से 12 लोगों की मौत हुई। कालका, असंध, इंद्री और हांसी उपमंडल जल परीक्षण प्रयोगशालाओं में भौतिक और रासायनिक परीक्षण की सुविधा नहीं है।
पानी केसैंपलों में क्लोरीन नहीं मिला
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 25 में से 12 स्थानों पर पानी के नमूनों में क्लोरीन नहीं मिला। 11 स्थानों पर क्लोरीन निर्धारित सीमा से अधिक पाया गया (0.2 PPM की आवश्यकता के मुकाबले प्रति मिलियन PPM तीन भागों का अधिकतम रेट) और 2 स्थानों पर, क्लोरीन अनुमेय सीमा के भीतर पाया गया। हालांकि SRI प्रयोगशाला में 2 नमूनों में क्लोरीन अनुमेय सीमा से थोड़ा ऊपर पाया गया और बाकी 23 नमूनों में क्लोरीन बिल्कुल भी नहीं पाया गया।
इन स्थानों पर मेंढक, शैवाल, कौलीफॉर्म
जिन 25 स्थानों से सैंपल लिए गए, उनमें से 7 स्थानों पर क्लियर वॉटर टैंक (CWT) ओवर हेड सर्विस रिजर्वायर (OHSR) का उपयोग किया जा रहा था और 3 स्थानों पर सफाई की स्थिति संतोषजनक नहीं थी। कटेसरा में CWT के अंदर शैवाल मिला है, साहू में CWT में मेंढक और काब्रेल में एक CWT बिना ढक्कन के था। इस बात को साबित करने के लिए CAG ने अपनी रिपोर्ट में तस्वीरें भी प्रकाशित की हैं।
6 साल में 2.64 लाख सैंपल लिए गए
रिपोर्ट में दिया गया है कि अप्रैल 2016 से मार्च 2021 की अवधि के दौरान 2,64,025 पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया, जिनमें से 18,104 नमूने (6.86 प्रतिशत) सही नहीं मिले। अगस्त 2021 से मई 2022 के दौरान, यह पाया गया कि जिन क्षेत्रों में पानी का नमूना लिया गया, वहां के निवासियों को सुरक्षित और पीने योग्य पेयजल सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा समय पर कार्रवाई की गई थी या नहीं। फिलहाल पेश हुई रिपोर्ट से लोग चिंतित नजर आ रहे हैं।