याद रखो ईश्वर सर्वव्यापक है, ग्रहों, ब्रह्मांडों को नियन्त्रित रखता है, फिर भी वह विचलित नहीं होता। यद्यपि वह इस संसार में है तथापि वह संसार से परे है।
Faridabad/Alive News : रामनवमी की पवित्र बेला पर आज परमपद प्राप्ति हेतु, ट्रस्ट के मार्गदर्शक सजन ने समय की अमूल्यता के विषय में बताते हुए कहा कि संतोष, धैर्य, सच्चाई व धर्म ये चारित्रिक सुदृढ़ता के मुख्य आधार एवं मानव व्यक्तित्व के मजबूत स्तंभ हैं। इन को धारण कर जीवन व्यवहार में लाने पर ही मानव की अन्दरूनी एवं बैहरूनी दोनों वृत्तियों में संतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है जिससे स्वत: सामय अवस्था पनपती है। सामय समान होने का भाव है, समानता है, समता है व मानव की मूल प्रकृति है। सजन ने आगे संस्था को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस सम अवस्था में उसके लिए सहजता से विभिन्न पक्षों के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक विचारों में सामय स्थापित करना सरल हो जाता है।
इस तरह उसके मन की गति स्थिर हो जाती है और समरसता उत्पन्न होती है। इसलिए उस बलवान व बुद्धिमान इंसान के अंदर जगतीय क्षणभंगुर पदार्थों के प्रति आसक्ति व लिप्ति नहीं पनपती और वह अपनी मूल स्वरूप स्थिति में अडिग बना रह परोपकार कमाता है। इस उपलब्धि के दृष्टिगत सजन ने कहा कि जीवन में संतुलन एवं समता की परम आवश्यकता है। इस आवश्यकता पूर्ति हेतु युवावस्था की भक्ति यानि समभाव-समदृष्टि की युक्ति अनुसार, संतोष, धैर्य, सच्चाई, धर्म जैसे अंतर्निहित सद्गुणों को पहचान कर निष्कामता से उनका वर्त-वर्ताव करो। इससे भाव संतुलन, मानसिक संतुलन, वैचारिक संतुलन व व्यावहारिक संतुलन तो पनपेगा ही साथ ही एक निगाह एक दृष्टि, एक दृष्टि एक दर्शन भी हो जाएगा। परिणामस्वरूप मन संकल्प रहित हो शांत हो जाएगा, वृत्तियां निर्मल हो जाएंगी और सजन-भाव अनुसार जीवनयापन करना सहज हो जाएगा। इस तरह जीवन जीने का वास्तविक आनन्द प्राप्त हो जाएगा।
चार दिन चले इस आयोजन के अंत में उन्होंने सजनों से कहा कि याद रखो ईश्वर सर्वव्यापक है, ग्रहों, ब्रह्मांडों को नियन्त्रित रखता है, फिर भी वह विचलित नहीं होता। यद्यपि वह इस संसार में है तथापि वह संसार से परे है। उसका अभिन्न अंश होने के नाते हमें उसी को ही प्रतिबिमिबत करना चाहिए। इस हेतु हमें अपना ख़्याल व दृष्टि (ध्यान) उसी के साथ जोड़े रख उससे प्राप्त शांति और आनन्द को बनाए रखना चाहिए और विशुद्ध प्रेम, अच्छाई व सामंजस्यता से परिपूर्ण विचारों का आदान-प्रदान कर उन्हें ही अपने मन-वचन-कर्म द्वारा प्रसारित करना चाहिए। संस्था की प्रबन्धक न्यासी रेशमा गांधी ने बताया कि रामनवमी महायज्ञ में भजन-र्कीान निरंतर चल रहा है। सारी वसुंधरा राममय हो गई है। भक्तजन सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ का अमृतत्व निरंतर प्राप्त कर रहे हैं। उन्होने बताया कि अब महायज्ञ अंतिम-चरण में है। उनके अनुसार आज पूरी रात्रि कीर्तन चलता रहा।