New Delhi/Alive News : अभी आम आदमी नोटबंदी से बेहाल है और वही जल्दी ही हो सकता है कि रेल विभाग भी उनकी जेब ढीली कर दे, पैसों की तंगी से जूझ रहा रेलवे जल्द ही रेल किराया बढ़ाने पर विचार कर सकता है। रेल बजट को आम बजट में मिलाने के बाद रेल मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को रेलवे का घाटे के वहन की अपील की थी, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इस विचार को मानने से इंकार कर दिया. बिजनेज टुडे में छपी खबर के मुताबिक रेलवे परिचालन घाटे को कम करने के लिए विभिन्न श्रेणियों में दी जाने वाली रियाततों और सब्सिडी में कटौती कर सकता है।
अपने संसाधनों से घाटा करें पूरा
रेलवे ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिख बताया कि वह रेलवे को होने वाला 33 हजार करोड़ का घाटा वहन करने में असमर्थ है इसलिए रियाततों में कटौती करने के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं है। जिससे यात्री किराया बढ़ने की संभावना है. गौरतलब है कि रेलवे यात्री संचालन पर 77 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है जबकि उसे किराए से सिर्फ 44 हजार करोड़ रुपये ही मिलते है। इस घाटे को कम करने के लिए वित्त मंत्रालय भरपाई कर सकता है लेकिन वित्त मंत्रालय का कहना है कि रेलवे अपने घाटे की पूर्ति अपने आंतरिक संसाधनों से पूरा करे। रेलवे बोर्ड के अधिकारी के मुताबिक रेलवे अपने खाली पड़ी जमीनों को कमर्शियल इस्तेमाल के लिए दे सकता है, जिससे निवेश हो सकता है।
आंकड़ों के अनुसार रेलवे ने 2015-16 में 34 हजार करोड़ रुपये का खर्च ‘सामाजिक सेवा दायित्व ‘ के तहत किया है, इसमें रेलवे में यात्रा करने वाले वरिष्ठों नागरिकों को किराए पर रियायत देना भी शामिल है। गौरतलब है कि रेलवे सभी श्रेणियों में 60 साल की उम्र के पुरुष वरिष्ठ नागरिकों को 40 प्रतिशत और 58 साल की महिला वरिष्ठ नागरिकों को 50 प्रतिशत तक की छूट देता है। वहीं, कुछ श्रेणी ऐसी भी हैं जिनमें रेलवे शारीरिक रूप से दिव्यांग, मूक, बधिर, और हार्ट के मरीजों को 75 प्रतिशत तक की छूट देता है।