November 7, 2024

राहुल गांधी के हिंदुओं पर दिए एक बयान ने मचाया लोकसभा में हंगामा

New Delhi/Alive News: लोकसभा में नेता विपक्ष के तौर पर राहुल गांधी के हिंदुओं पर दिए एक बयान ने हंगामा मचा दिया। दरअसल, राहुल ने कहा था जो खुद को हिंदू कहते हैं, वह हिंसा-हिंसा करते हैं। इसे लेकर सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। खुद पीएम मोदी ने राहुल के भाषण के बीच उन्हें टोका और कहा कि पूरे हिंदू समुदाय को हिंसा से जोड़ना ठीक नहीं है। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी राहुल गांधी पर जमकर पलटवार किया। शाह ने कहा कि राहुल गांधी को इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।

राहुल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग अपने आप को हिंदू कहते हैं वह 24 घंटे हिंसा, हिंसा, हिंसा; नफरत, नफरत, नफरत; असत्य, असत्य, असत्य करते रहते हैं। ये हिंदू हैं ही नहीं। आप हिंदू हो ही नहीं। हिंदू धर्म में साफ लिखा है कि सत्य के साथ खड़े होने चाहिए। सत्य से पीछे नहीं हटना चाहिए। अहिंसा फैलाना चाहिए।

पीएम मोदी ने इस दौरान बीच में ही उठकर राहुल गांधी को रोका और कहा कि यह बात बहुत गंभीर है। पूरे हिंदू समुदाय को हिंसक कहना गंभीर विषय है। इस पर राहुल ने जवाब दिया कि मैंने भाजपा को हिंसक कहा, नरेंद्र मोदी पूरा हिंदू समाज नहीं है। भाजपा पूरा हिंदू समाज नहीं है। आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है।

पीएम मोदी ने राहुल के बयानों पर बाद में सदन में कहा, “इस संविधान ने मुझे सिखाया है कि मुझे विपक्ष के नेता को गंभीरता से लेना चाहिए।”

राहुल गांधी के बयान पर पलटवार करते हुए अमित शाह ने कहा, “शोरशराबा कर के इतने बड़े कृत्य को छिपाया नहीं जा सकता। विपक्ष के नेता ने कहा कि जो अपने आप को हिंदू कहते हैं, वह हिंसा करते हैं, हिंसा की बात करते हैं। इनको शायद मालूम नहीं है कि करोड़ों लोग खुद को गर्व से हिंदू कहते हैं। क्या वे सभी लोग हिंसा करते हैं। हिंसा की भावना को किसी धर्म के साथ जोड़ना और इस सदन में संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने। मुझे लगता है उन्हें इसकी माफी मांगनी चाहिए।”

शाह ने आगे कहा, “मैं उनको एक गुजारिश भी करना चाहता हूं कि इस्लाम में अभयमुद्रा, इस पर इस्लाम के विद्वानों का मत एक बार वो ले लें। गुरुनानक साहब की अभयमुद्रा पर एसजीपीसी का मत वो ले लें। अभय की बात इनको करने का कोई हक नहीं है। आपातकाल में पूरे देश को इन्होंने भयभीत किया है। लाखों लोगों को जेल में डाला गया। वैचारिक आतंक कभी था तो आपका आपतकाल था।”