November 16, 2024

12वीं मंजिल से गिरे युवक को क्यूआरजी के डॉक्टरों ने किया सफल इलाज

Faridabad/ Alive News: क्यूआरजी सेंट्रल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के सर्जनों की एक टीम ने एक इमारत की 12वीं मंजिल से गिरकर बुरी तरह जख्मी युवक सुधीर को नया जीवन दिया. सुधीर भाग्यशाली था जो इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद भी जीवित रह गया. बिहार के गया शहर का रहने वाला 23 वर्षीय युवक ग्रेटर फरीदाबाद में एक इमारत के निर्माण स्थल पर काम करते समय अपना संतुलन खो दिया और 12वीं मंजिल (120 फीट की ऊंचाई) से गिर गया. इसके सहकर्मी उसे क्यूआरजी सेंट्रल अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर की इमरजेंसी में ले आए, जहां डॉक्टरों की एक टीम ने सफलतापूर्वक उसका इलाज किया।
क्यूआरजी सेंट्रल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के वरिष्ठ सर्जन डॉ पंकज जुतशी ने कहा कि इतनी ऊंचाई से किसी व्यक्ति का गिरकर जीवित रह जाना बहुत आशामान्य है ऐसे मामले में व्यक्ति का जीवित रह जाना बहुत दुर्लभ है. सुधीर को 5 जून 2017 को बहुत ही गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया था उसके आने पर हमने जांच करने पर पाया के उसकी नब्ज नहीं चल रही थी उसकी रक्त नलिकाओं में कोई प्रेशर नहीं था और उसकी आंख की पुतली फैली हुई थी. डॉ पंकज जुतशी ने कहा कि कोई समय गवाए बगैर हमने उसे आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया और उसे सांस लेने में मदद करने के लिए तुरंत रिससटेशन और पीसीआर शुरू कर दिया।
डॉ जुतशी ने कहा कि हालांकि सुधीर जीवित था लेकिन उसके शरीर के विभिन्न हड्डियों के अलावा उसके पेट वाले हिस्से, छाती, सिर और आँतों में कई गंभीर चोटें थी. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था लेकिन उसकी हालत बिगड़ना शुरू हो गई तब सुधीर का इलाज करने वाले डॉक्टरों की टीम ने सर्वसम्मति से ऑपरेशन करने का फैसला किया। क्योंकि यह उसे जीवित रखने के लिए आखिरी उम्मीद थी.
क्यूआर जी सेंट्रल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के ईटेनवेनिस्ट व क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के प्रमुख्य डॉ प्रशांत भाटिया ने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी और सर्जरी के दौरान हमें बहुत सावधानियां वर्तनी थी सर्जरी के दौरान उसके पेट की कैविटी से 4 लीटर है हेयप्रीतिन्यूम (खून) निकाला गया. बेहद सावधानी से बनाई गई रणनीति का इस्तेमाल करते हुए, उसके लीवर और मूत्राशय से बह रहे खून को नियंत्रण किया गया क्योंकि सुधीर के पेशाब में केवल खून ही आ रहा था.
ठीक होने के बाद सुधीर ने कहा मुझे गिरते समय ऊपर से गिरने का एहसास हुआ था लेकिन कुछ ज्यादा महसूस नहीं हुआ और मैं बेहोश हो गया मैं अस्पताल में होश में आया. डॉ प्रशांत भाटिया ने कहा कि सुधीर को 15 से अधिक दिनों तक गहन निरीक्षण में वेंटिलेटर पर रखा गया उसके अस्पताल में रहने के दौरान उसे करीब 64 यूनिट रक्त और रक्त उत्पाद चढ़ाए गए. डॉ प्रशांत भाटिया ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण सफलता है सुधीर बहुत भाग्यशाली है क्योंकि ऐसी स्थिति में व्यक्ति की मौत हो जाती है या उसके सिर में या रीड में अत्यंत गंभीर चोट लगती है. उन्होंने कहा कि सुधीर को अस्पताल से छुट्टी मिल रही है और वह क्यूआर जी सेंट्रल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंट्रल के डॉक्टरों की टीम को शुक्रिया अदा किया, क्योंकि उसे यहां नया जीवन मिला है