Chandigarh/Alive News : प्राइवेट अस्पतालों को सरकारी कर्मचारियों का इलाज अब पैकेज के तहत ही करना होगा। इसके तहत स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक बीमारी की जांच, ऑपरेशन आदि के लिए सरकारी अस्पताल में आने वाले खर्चों के मुताबिक रेट तय करेगा। विभिन्न बीमारियों के लिए करीब 1000 से ज्यादा पैकेज बनने की संभावना है। प्राइवेट अस्पतालों द्वारा सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के इलाज के लिए मनमानी वसूली को देखते हुए यह कदम उठाया है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बताया कि हर बीमारी का एक अलग पैकेज तैयार किया है। इन्हें जल्द ही लागू किया जाएगा। प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम ओवर चार्जिंग करें।
तयशुदा मापदंडों के अनुसार इलाज की सुविधाएं दें, इसके लिए क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू किया जा रहा है। संभवतः अगले हफ्ते तक यह एक्ट लागू हो जाएगा। गौरतलब है कि गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल द्वारा डेंगू पीड़ित 7 वर्षीय बच्ची आद्या के इलाज का 15.59 लाख रुपए का बिल दिए जाने का मामला आने के बाद पैकेज तय करने के काम में और तेजी आई है।
अभी पीजीआई रेट के अलावा 75 फीसदी का फार्मूला
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक प्राइवेट अस्पताल सरकार से अधिकारी-कर्मचारियों के इलाज के लिए पीजीआई रेट प्लस 75 फीसदी के फार्मूले से पैसा वसूल रहे थे। उदाहरण के तौर पर अगर कोई सरकारी कर्मचारी प्राइवेट अस्पताल में डेंगू का इलाज कराता है और अस्पताल का बिल 5 लाख रुपए बनता है। जबकि पीजीआई में यही इलाज 50 हजार रुपए में हो जाता। तो ऐसी स्थिति में प्राइवेट अस्पताल सरकार से 50 हजार के अलावा बाकी 4.50 लाख रुपए की 75 फीसदी राशि यानी 3 लाख 37 हजार 500 रुपए और लेगा। इस पर कोई अधिकारी-कर्मचारी अब तक आपत्ति इसलिए नहीं कर रहा था, क्योंकि यह पैसा उन्हें अपनी जेब से तो देना नहीं पड़ता था, बल्कि सरकार से इस राशि का पुनर्भरण हो जाता था। लेकिन, अब पैकेज के तहत प्राइवेट अस्पतालों को पीजीआई अस्पताल की दरों के अनुसार ही रेट दिया जाएगा। इससे सरकार को जहां काफी बचत होगी, वहीं अधिकारी-कर्मचारियों को इलाज की बेहतर सुविधा भी मिलेगी।
हुडा को अस्पतालों की लीज शर्तों की जांच की सिफारिश
स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में प्राइवेट अस्पतालों को सेवा के नाम पर रियायती दर में आवंटित जमीनों की लीज शर्तों के उल्लंघन के लिए हुडा से सभी अस्पतालों की जांच कराए जाने को कहा है। लीज शर्तों के मुताबिक प्राइवेट अस्पताल को अपनी क्षमता के 20% बीपीएल और गरीब परिवारों को रियायती दर पर चिकित्सा सुविधा देनी होती है। फोर्टिस अस्पताल में इसका उल्लंघन पाया गया है। बाकी अन्य अस्पतालों में भी ऐसा उल्लंघन पाए जाने की आशंका है। ऐसे में उनसे मार्केट रेट के मुताबिक अंतर राशि मांगी जा सकती है या उनकी जमीन आवंटन संबंधी लीज कैंसिल की जा सकती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी जाएगी फोर्टिस की जांच रिपोर्ट
फोर्टिस अस्पताल द्वारा 7 वर्षीय डेंगू पीड़ित बच्ची आद्या सिंह के इलाज में लापरवाही और मनमानी वसूली को लेकर स्वास्थ्य विभाग की कमेटी की जांच रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी जाएगी। इसमें अत्यावश्यक दवाइयों की अधिकतम कीमतें तय करने के साथ ही अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की सिफारिश भी की जाएगी।
फोर्टिस अस्पताल ने ऐसे किया ओवरचार्जः स्वास्थ्य महकमे के मुताबिक जांच रिपोर्ट से पता चला है कि फोर्टिस अस्पताल प्रशासन ने डेंगू पीड़ित बच्ची के परिजनों से किस तरह ओवर चार्जिंग करके 15.59 लाख रुपए का बिल वसूला। इनमें आईसीयू के लिए 1.74 लाख, सर्जिकल और मेडिकल प्रोसीजर के लिए 2.85 लाख, विभिन्न तरह की जांचों के लिए 2.17 लाख, ब्लड बैंक के 61 हजार, ड्रग्स (दवाओं) के 6.70 लाख, डॉक्टरों के चार्जेज 54 हजार और वेंटिलेटर के लिए 71 हजार रुपए चार्ज किए गए।
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने गुरुवार को फोर्टिस अस्पताल को तुरंत प्रभाव से राज्य सरकार के पैनल से हटाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, विभाग ने बताया कि अभी अस्पताल का सरकार में इम्पैनलमेंट नहीं हुआ है। वह इसके लिए प्रयास कर रहा था। अब यह कार्रवाई भी रुकने की संभावना है। इस बीच बच्ची के इलाज में आपराधिक लापरवाही बरतने के लिए एफआईआर दर्ज कराए जाने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। गृह विभाग के डिस्ट्रिक्ट अटाॅर्नी को शुक्रवार तक शिकायत ड्राफ्ट करके देने को कहा गया है।