Palwal/Alive News : कमेटी ने 2017 दोषियों की विचाराधीन कैदियों की पैरोल संबंधी अन्तरिम जमानत भी 31-08-2021 तक बढ़ा दी है, जो 07 साल की सजा पाए है या 07 साल तक के अधिकतम कारावास के अपराधों के ट्रायल का सामना कर रहे है। राज्य और जेल अधिकारियों को पैरोल संबंधी अन्तरिम जमानत के ऐसे सभी दोषियों की विचाराधीन कैदियों के मामलों पर विचार करने के लिए कहा गया है।
यदि कोई अन्य दोषी विचाराधीन कैदी हाई पावर्ड कमेटी द्वारा निर्धारित श्रेणियों से आच्छादित पाया जाता है। पैरोल संबंधी अन्तरिम जमानत का लाभ ऐसे व्यक्तियो को 31-08-2021 तक संबंधित न्यायालयों की सक्षम प्राधिकारी द्वारा हाई पावर्ड कमेटी के निर्देशों के अनुसार विस्तारित करने का आदेश दिया गया है।
कमेटी ने यह भी फैसला लिया कि जिन कैदियों में कोरोना मामले की पुष्टि होती है या फिर वो संक्रमण के संदिग्ध हैं अथवा जिन्हें निगरानी में रखा गया है या उनके संक्रमण होने की अधिक संभावना है, ऐसे में जेल प्रशासन उन कैदियों के कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद मेडिकल रिकाॅर्ड के आधार पर स्पेशल पैरोल देने संबंधी विचार-विमर्श कर सकता है।
इसके अलावा, कमेटी ने राज्य और जेल विभाग से बंदियों के सभी श्रेणियों की समीक्षा करने को कहा है। कमेटी के मुताबिक किसी अन्य श्रेणी में पैरोल संबंधी अंतरिम जमानत की अनुमति या व्यवस्था बनती हो, तो इस संबंधी हाई पावर्ड कमेटी के समक्ष प्रस्ताव, विचार करने के समय रखा जा सकता है।
पारदर्शी प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए राज्य को अपनी वेबसाइट पर जेलों में मौजूद कैदियों की सही संख्या को दर्शाने व कमेटी की कार्रवाई आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी के साथ ही हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को भी प्राधिकरण की वेबसाइट पर हाई पावर्ड कमेटी के सभी निर्णयों को प्रकाशित करने के लिए कहा गया है।
यह भी निर्णित किया गया है कि जेल प्रशासन की सहभागिता से सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जेल कर्मियों व कैदियों में आपसी व्यवहार, मास्क शिष्टाचार संबंधी जागरूकता, पर्याप्त चिकित्सक व परीक्षण संबंधी सुविधाएं प्रदान करने के अलावा ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण करने की कोशिश करें।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्षों और जिला एवं सत्र न्यायाधीशों, जो अन्डरट्रायल रिव्यू कमेटी के पदेन अध्यक्ष हैं, को निर्देशित किया गया है कि वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बनाई विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए अन्डरट्रायल रिव्यू कमेटियों की नियमित बैठक सुनिश्चित करें।
हाई पावर्ड कमेटी ने संबंधित अधिकारियों को शीर्ष न्यायालय द्वारा अर्नेश कुमार बनाम बिहार मामले में दिए गए जरूरी दिशा-निर्देशों का पालन करने को भी कहा है। यह भी आदेश दिया गया कि इन निर्देशों के आवश्यक अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए जिला न्यायालयों एवं पुलिस विभाग, हरियाणा के संज्ञान में लाया जाए ताकि जेलों में भीड़भाड़ से बचने व कैदियों के बीच संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सके।
कोरोना की दूसरी लहर में उछाल को देखते हुए, समिति ने फिलहाल अदालतों में विचाराधीन कैदियों के आने पर रोक संबंधी फैसला किया है। यह निर्देश भी दिया गया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुओ मोटो रिट-पैटीशन नंबर 5/2020 में दिए गए निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अदालती कार्रवाई के दौरान वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से आरोपियों को पेश किया जाए।