Faridabad/Alive News : नीमका जेल में खाली पड़ी जमीन पर कैदियों से जैविक खेती करवाई जा रही है। जेल में 3.50 एकड़ खाली पड़ी जमीन पर दस कैदी रोजाना पांच से छह घंटे खेती करते हैं। कैदियों ने इस माह बीज बोए हैं जिन्हें जैविक खाद दी जा रही है, अप्रैल माह से सब्जियां मिलनी शुरू हो जाएंगी। अपनी उगाई हुई यह जैविक फसलें जेल के कैदी ही इस्तेमाल करते हैं।
जैविक फसलेें सेहत के लिए बेहतर मानी जाती हैं। जेल प्रशासन के अनुसार कैदी जैविक खेती से यह दूसरी फसल उगा रहे हैं। जेल में कैदी इतनी सब्जी उगा लेते हैं कि छह माह तक बाहर से खरीदने की जरूरत ही नहीं पड़ती। जैविक खेती करने से जहां कैदियों की सेहत अच्छी रहेगी वहीं सरकार को प्रतिवर्ष लाखों रुपये की बचत हो रही है।
जेल में होने वाली फसल
जेल में कैदियों द्वारा कद्दू, लौकी, तोरई, भिंडी, पालक, गाजर, फूल व बंद गोभी, टमाटर, आलू आदि सब्जियों की फसल उगाई जा रही है। जेल में कैदी मौसमी फसल की खेती कर रहे हैं।
2300 कैदी हैं मौजूद
जेल में 2300 कैदी रह रहे है। जिनके खाने के लिए रोजाना चार क्विंटल सब्जियां लगती हैं। जिसमें से साल में सिर्फ छह माह ही सब्जियां बाहर से खरीदी जाती है। बाकी जेल में हो रही खेती से काम चलाया जा रहा है।
जेल की खाली जमीन का हो रहा सदुपयोग
जेल की खाली पड़ी जमीन का सदुपयोग खेती करवाने में किया जा रहा है। खेती वह कैदी कर रहे हैं जिनको फसलों के बारे में जानकारी है। जैविक खेती कर रहे कैदियों की मदद के लिए बाहर से एक्सपर्ट भी बुलाए जाते हैं जो उत्तम खेती के गुर बता कर कैदियों की मदद करते हैं। साढ़े तीन एकड़ की जमीन पर खेती करवाई जा रही है। इसके अलावा खाली पड़ी जमीन पर पार्क ,पेड़ आदि लगवाए जा रहे हैं। – दीपक शर्मा,जेल अधीक्षक,नीमका जेल