Faridabad/Alive News : कोरोना काल मे अपनी जान को जोखिम मे डालकर और अपना खून पसीना बहाकर निर्बाध बिजली की आपूर्ति को सुचारू करने वाले कोरोना फ्रंटलाइन वर्कर्स यानी बिजली कर्मचारियों को प्रदेश सरकार की तरफ से पुरस्कृत करने के स्थान पर बिजली मंत्री द्वारा कर्मचारियों को चार्जशीट करने वाले बयान की हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महासचिव सुनील खटाना ने कड़े शब्दों में निंदा की है। एक तरफ तो सरकार बिजली कर्मचारियों को कोरोना योद्धा मानकर फ्रंट लाइन वर्कर कहती है।
वहीं दूसरी तरफ बिजली मंत्री का यह बयान बेहद ही शर्मनाक है। बिजली मंत्री को इस पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिये। प्रदेश में एक दिन में सरकार के पास मौजूदा 12 हजार मेगावाट बिजली में से 11732 मेगावाट बिजली की खपत होना बिजली विभाग के लिए मुनाफे की बात है। जहां एक तरफ हमने एक दिन में 25 करोड़ यूनिट की खपत कर एक इतिहास रचा है। जोकि वर्ष 1966 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। यह सब हमारे कर्मचारियों की मेहनत से ही संभव हो पाया है।
वर्ष 1966 के दौरान विभाग में मैनपॉवर थी। उस समय बिजली विभाग मे लगभग 55 हजार कर्मचारी काम किया करते थे और हरियाणा प्रदेश में उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 5 लाख थी। मगर आज के मौजूदा हाल की बात करे तो कर्मचारियों की संख्या फिलहाल घटकर कच्चे पक्के कर्मचारियों की संख्या में लगभग 22 हजार है। प्रदेश मे बिजली उपभोक्ताओं की बात करे तो लगभग 87 लाख से अधिक है। गर्मी के मौसम की बात करें तो हर वर्ष गर्मी के मौसम में वर्कलोड बढ़ने के कारण 89 दिनों के लिए कच्चे कर्मचारियों की भर्ती की जाती है। लेकिन इस वर्ष वह भी नही की गयी है।
आज प्रदेश का कर्मचारी 45 डिग्री लू के थपेड़ों, आँधी तूफान के तापमान में लू के साथ थपेड़ों के बीच गर्म खम्बो पर गर्म लोहे की तारो को ठीक करता है। जबकि सरकार के मंत्री व निगम अधिकारी अपने वार्तानुकूलित कमरो मे बैठकर कर्मचारियों का हौसला बढ़ाने के स्थान पर उनका मनोबल तोड़ने की बात करते हैं। आज सरकार की प्राथमिकता कर्मचारियों की स्थाई भर्ती व उनको मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही बिजली के सिस्टम को अपग्रेड करने की आवश्यकता है। आज ठेकेदारी प्रथा हमारे सिस्टम में चरम सीमा पर होने के कारण इसे दीमक की तरह चाट रही है।
निगम का अधिकारी वर्ग सिर्फ ठेकेदारों से कमीशन लेने तक ही सीमित रह गया है । सरकार को सही मायनों में ऐसे दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। आज कर्मचारी टी एंड पी यानी टूल एन्ड पिलास किट व सेफ्टी किट के अभाव में अपनी जान को जोखिम में डालकर निर्बाध बिजली आपूर्ति करने में अपनी ओर से लगा हुआ है। आए दिन कर्मचारियों की दुर्घटनाओं की खबर अखबार की सुर्खियां बनती हैं, पर उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं। एचएसईबी वर्कर्स यूनियन निरंतर कर्मचारियों की आवाज को सरकार व आला अधिकारियों के सामने उठाता है। मगर कर्मचारियों की जायज मांगों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
कर्मचारी वर्ग जोखिम भत्ते की बात करता है या पुरानी पेंशन की बात करता है। जिसके लिए वह एक लंबे समय से संघर्ष में लगा हैं। कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की बात व कर्मचारियों की हकों की बात करें तो सरकार का ध्यान इस तरफ नहीं जाता उल्टा कर्मचारियों को प्रताड़ित करने के नए-नए तरीकों को अपनाने की ओर जाता है। ताकि कर्मचारी अपने हक की बात ना करें और 18 महीनों से कर्मचारियों का डी.ए रोक रखा है। ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी का एचएसईबी वर्कर्स यूनियन पुरजोर विरोध कर रही है। मगर इस तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं, अगर सरकार इसी प्रकार कर्मचारी वर्ग की अनदेखी करती रही तो बहुत जल्द एचएसईबी वर्कर्स यूनियन पूरे प्रदेश में घूम- घूम कर प्रदेश जिला स्तरीय मीटिंग को बुलाकर सरकार के खिलाफ आर- पार के आंदोलन की घोषणा करेगी ।