December 24, 2024

लोग धड़ल्ले से धो रहे हैं घरो के फर्श, पीने के पानी का हो रहा है इस्तेमाल

Gurugram/Alive News : शहर में जल संकट की एक वजह पानी का असमान वितरण और पानी की बर्बादी भी है। अभी के जल संकट के दौरान एक ओर कुछ इलाकों में 30 दिनों से पानी नहीं आया। कुछ इलाकों में मुख्य लाइन से पानी आ रहा है तो लोग गाड़ियां और घरों का फर्श धड़ल्ले से धो रहे हैं। वर्कशॉप में तेज धार से कार की सफाई पर रोक नहीं है।
शुक्रवार को जीएमडीए और नगर निगम ने शहर में पानी की किल्लत की समीक्षा बैठक की। इसमें यह स्वीकारा गया कि सब जगह एक समान पानी का वितरण नहीं है। जहां ट्रीटमेंट प्लांट से सीधी लाइनें गई हैं, वहां पानी की चोरी और निरंतर पाइप में पानी रहने के कारण पानी की बहुत बर्बादी भी हो रही है। इस पर नियंत्रण की बात की गई। सख्ती पर चर्चा हुई मगर जहां से लाइनें गई हैं, वहां के लंबित बूस्टिंग स्टेशन को चिन्हित नहीं किया गया।

चंदू बुढ़ेरा के प्लांट से सरहौल की ओर जो लाइनें गई हैं, वहां दो बूस्टिंग स्टेशन लंबित हैं। सरहौल गांव और उद्योग विहार में बूस्टिंग स्टेशन अधूरे हैं। इनमें पानी को एकत्र कर पानी की राशनिंग की जा सकती थी। द्वारका एक्सप्रेसवे से गुजरने वाली पेयजल की लाइन लगभग रोजाना इलाके में टूटती है। कई-कई दिन नहर की तरह पानी बहता रहता है। इस पर नजर रखने और निर्माण कार्य के कारण पाइप लाइनों को नुकसान नहीं पहुंचे इस पर सख्ती पर कोई निर्णय नहीं हुआ।
जीएमडीए प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी की आपूर्ति करता है। जहां पर्याप्त पानी पूरे प्रेशर से आ रहा है, वहां गाड़ियां और घर धोने से लेकर निर्माण कार्य तक पेयजल से किया जा रहा है। यहां तक कि डीएलएफ के इलाके में जहां पेयजल संकट अपने चरम पर है, वहां निर्माण कार्य में पेयजल के प्रयोग की शिकायत आई है।

अधूरे बूस्टिंग स्टेशन, पानी की बर्बादी का कारण
शहर में पानी की किल्लत की एक बड़ी वजह पेयजल के वितरण में योजनाओं का अभाव भी है। दूसरी और जागरूकता की कमी ऐसी जहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी की सीधी लाइन आती है, वहां पानी की बर्बादी भी खूब है। चंदू बुढ़ेरा के प्लांट से वाया सरहौल नेशनल हाईवे को पार कर सेक्टर 45 तक पानी की लाइन आई है। सरहौल और उद्योग विहार में बूस्टिंग स्टेशन बनाकर पेयजल को समान बांटा जाना था मगर जीएमडीए के एक्सइएन अभिनव वर्मा ने भी स्वीकारा था कि इन इलाकों से जहां पेयजल लाइन सीधी जा रही है, वहां पानी निरंतर लाइन में रहने और तेज बहाव में होने के कारण पानी की बर्बादी भी खूब हो रही है।

इन योजनाओं होना है काम

जीएमडीए चंदू बुढ़ेरा के प्लांट में तीन 100 एमएलडी के प्लांट पहले से हैं। दो और 100- 100 एमएलडी के जल शोधन संयंत्र तैयार होने हैं, इनमें से एक पूरा होने की कगार पर है। दूसरा शुरू नहीं हुआ है। 52.5 करोड़ के खर्च से पांचवां 100 एमएलडी का प्लांट बनेगा।

बसई के प्लांट में एक 100 एमएलडी जल शोधन संयंत्र बनाने की योजना है। अभी 90-90 एमएलडी के तीन संयंत्र से कुल 270 एमएलडी जलशोधन क्षमता है।

गुड़गांव वाटर चैनल का नवीकरण 1500 करोड़ की लागत से होना है। इसके टेंडर हो गए हैं। टेंडर खुलने पर सोनीपत के काकरोई वाटर वर्क्स से नई लाइन बनेगी, जिसमें पानी की चोरी पर रोक होगी। इसमें 15 महीने का समय लगेगा ।

चंदू बुढ़ेरा और बसई के प्लांट को पाइप लाइन से जोड़ा जाना है, ताकि दोनों प्लांट के पानी साझा किए जा सके

सेक्टर 16 के बूस्टिंग स्टेशन की मशीनरी और क्षमता को 12.42 करोड़ के खर्च से अपग्रेड किया जाना है। इससे हाईवे के दूसरी ओर के सेक्टरों में जलापूर्ति बढ़ेगी।

अधिकारी ने कहा
पाइप लाइन के अंतिम छोर पर पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पानी की आपूर्ति नियंत्रित की जाएगी। अंतिम छोर पर पर्याप्त पानी पहुंचे इसकी जांच लगातार होगी। इस बात पर नजर रखेंगे कि वहां कितने घंटे और किस फ्लो में पानी की आपूर्ति हो रही है। पानी की टंकी के ओवरफ्लो, कार वाशिंग, फ्लोर वाशिंग आदि पानी की बर्बादी पर चालान किया जाएगा। – विशाल बंसल, मुख्य अभियंता नगर निगम