Poonam Chauhan/Alive News
Faridabad: निजी स्कूलों में बढ़ती फीस और महंगी किताबों के बोझ तले अभिभावक पल-पल घुटने को मजबूर हैं। स्कूल खुलने के साथ ही अब स्कूल संचालकों की मनमानी शुरू हो गई है। निजी स्कूलों में फीस को लेकर भले ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा दावा किया जा रहा हो कि उनका फीस पर पूरी तरह से विभाग का कंट्रोल है लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा। यही वजह है कि अधिकांश निजी स्कूल अपने हिसाब से फीस व किताबों का रेट तय कर अपनी निर्धारित की हुई दुकान या फिर स्कूल में ही किताबों की सेलिंग कर रहे हैं।
स्कूलों में नए शिक्षा सत्र के लिए प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है इसके साथ ही स्कूल संचालकों की लूट-खसौट की नीति भी शुरू हो गई है। अधिकतर स्कूल प्रबंधन कमीशन के खेल के लिए किसी निजी पब्लिशर की बुक को मात्र कमीशन के लिए स्कूलों में लगवा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा सरकार दावा करती है कि एनसीआरटी की किताबों की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें लगाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है और छात्र व उनके अभिभावकों को स्कूल के अंदर से ही किताब कॉपी स्टेशनरी आदि खरीदने को मजबूर नहीं किया जाएगा।
अब अभिभावक कहीं से भी किताबें खरीदने को स्वतंत्र है। क्या वास्तव में निजी स्कूलों में सरकार के इन नियमों का पालन हो रहा है। निजी स्कूल संचालकों ने शिक्षा विभाग के नियमों का तमाशा बना दिया है। निजी स्कूल संचालकों को ना तो अपनी मान्यता रद्द होने का डर है और ना ही किसी सरकारी अधिकारी द्वारा एक्शन लेने का खौफ है।
फीस वृद्धि पर क्या है स्कूल संचालकों का तर्क
अभिभावकों से लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन कक्षाओं की फीस आधी ली जा रही थी, लेकिन अब ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है तो फीस पूरी ली जा रही है। ये पूरी फीस अभिभावकों को बढ़ी हुई लग रही है। वास्तव में दो साल से अभिभावकों की परिस्थितियों को देखते हुए हरियाणा बोर्ड के स्कूलों में एक प्रतिशत भी फीस नही बढ़ाई गई है।
-नंदराम पाहिल, प्रधान, यूनाइटेड प्राइवेट स्कूल्स एसो.
हरियाणा में ये बनाए गए हैं नए नियम
-सरकार ने प्राइवेट स्कूलों द्वारा कैश में फीस लेने पर रोक लगा दी है। छात्रों से फीस डीडी, एनईएफटी, चेक, आरटीजीएस या अन्य किसी डिजिटल माध्यम से ली जाएगी।
-प्राइवेट स्कूल सालाना 10 फीसदी से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकेंगे लेकिन फीस बढ़ाने की कार्रवाई को शिक्षकों का वेतन बढ़ाने से जोड़ा गया है।
-छात्र व उनके अभिभावकों को स्कूल के अंदर से ही किताब कॉपी स्टेशनरी आदि खरीदने को मजबूर नहीं किया जाएगा। अब अभिभावक कहीं से भी किताबें खरीदने को स्वतंत्र होंगे।
–एनसीईआरटी की किताब की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें लगाने पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
-कोई भी स्कूल छमाई या वार्षिक आधार पर फीस नहीं लेगा। सिर्फ मासिक आधार पर ही फीस वसूल कर सकता है।
-स्कूल में प्रवेश के समय पहली, छठी, 9वीं और 11वीं कक्षा में दाखिले के समय पर भुगतान योग्य दाखिला फीस ली जा सकेगी।
-स्कूलों को स्पष्ट किया गया है कि सिर्फ बोर्ड परीक्षाओं की ही एग्जाम फीस ली जाएगी। कई स्कूल अन्य कक्षाओं के लिए भी एग्जाम फीस का प्रावधान रखते हैं, इसलिए किसी भी मान्यता प्राप्त स्कूल को किसी भी छात्र के लिए अन्य वार्षिक परीक्षाओं या अन्य परीक्षाओं के लिए फीस के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
इन स्कूलों पर लागू होगें ये नियम
हरियाणा सरकार का कहना है कि ये नियम हरियाणा और सीबीएसई बोर्ड के सभी स्कूलों को मानने होंगे। ये सभी नियम 2022-23 के शैक्षणिक सत्र से लागू किए जाएंगे। निदेशालय के आदेश अनुसार स्कूल इन नियमों में कोई भी मनमानी नहीं दिखा सकेंगे। सभी प्राइवेट स्कूलों के लिए इन नियमों का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। फिर भी अगर कोई स्कूल 3 बार से अधिक दोषी पाया जाता है तो स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
क्या कहना है हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव का
अभिभावक स्कूलों की मनमानी के शिकार हो रहे हैं। अधिकांश निजी स्कूलों खासकर सीबीएसई से मान्यता प्राप्त में कमीशन खोरी के चक्कर में निजी प्रकाशकों की पुस्तके लागू की जाती हैं। इन मनमानियों को रोकने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय स्कूलों की इस मनमानी का सबूत मांग रहा है जबकि सबूत तो बच्चों के बस्ते में मौजूद है जो सबको दिखाई देता है लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को नहीं। मंच ने मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री व अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की कार्यशैली की शिकायत की है।
-कैलाश शर्मा, प्रदेश महासचिव, हरियाणा अभिभावक एकता मंच।