Faridabad/ Alive News : हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिख कर हुडा से आवंटित भूमि पर चल रहे प्राइवेट स्कूलों द्वारा किये जा रहे शिक्षा के व्यवसायीकरण की एक उच्च स्तरीय कमेटी से जांच करने की मांग की है। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि मंच द्वारा हुडा प्रशासक फरीदाबाद व मुख्य प्रशासक हुडा पंचकूला को लिखे गए दर्जनों पत्रों पर कोई भी उचित कारवाही न होने पर मुख्य्मंत्री को पत्र लिखकर हुडा नियमों का उल्लंघन कर रहे निजी स्कूलों के खिलाफ उचित कारवाही की मांग की है।
मंच ने लिखा है कि प्राइवेट स्कूल हुडा के सभी नियमों का उल्लंघन उसी दिन से कर रहे है जिस दिन से उन्होंने हुडा से जमीन लेकर उस पर बिल्डिंग बनाकर स्कूल चलाना शुरू किया है। मंच ने अपने पत्र में लिखा है कि हरियाणा में 300 से ज्यादा प्राइवेट स्कूल हुडा विभाग द्वारा दी गई जमीन पर चल रहे हैं। इन सभी के भूमि आवंटन पत्र में हुडा ने यह शर्तें लगाई हैं। अपने स्कूल की दाखिला पॉलिसी व फीस संरचना शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले हुडा को देनी होगी। अपने स्कूल की मैनेजिंग कमेटी में हुडा का एक अधिकारी शामिल करना होगा। जिस क्षेत्र में स्कूल खुला है उस क्षेत्र के बच्चों को पहले दाखिला देना होगा। गरीब पिछडे व मेधावी छात्रों को 20 प्रतिशत दाखिला देकर उनसे सरकारी स्कूलों की भांति फीस लेनी होगी।
मंच ने मुख्य्मंत्री को याद दिलाया गया है कि इस सम्बध में अटेली से भाजपा विधायक संतोष यादव ने मई 2015 में विधान सभा सत्र के दौरान मार्च 2015 में सरकार से यह जानकारी मांगी थी कि ‘‘प्रदेश में हुडा की जमीन पर बने स्कूल सरकार के मापदडों का पालन कर रहे हैं या नहीं। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को रियायती दरों पर शिक्षा मिलने को भी उन्होंने जानकारी मांगी थी’’ इस प्रश्न का उत्तर देते हुये आपने बताया कि ‘‘हुडा की 1991 की नीति के तहत स्कूलों और शैक्षणिक संस्थाओं को भूमि का आवंटन निर्धारित मूल्यों पर किया जाता है। इसमें गरीब छात्रों को सबको शिक्षा सुलभ शिक्षा समान शिक्षाभी शैक्षणिक लाभ देने का प्रावधान है। जमीन हासिल करने वाले संस्थान, स्कूलों और न्यास को आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए हर सत्र में 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखनी होती हैं। गरीब बच्चों की फीस भी सरकारी स्कूल की दर पर वसूलने का नियम है।
इसके अलावा 10 प्रतिशत सीटें उन छात्रों के लिए आरक्षित रखनी होती हैं जिनकीे फीस उनकी योग्यता व परिवार को आय के आधार पर निर्धारित होती है। उन्होंने बताया कि फरीदाबाद में हुडा नियमों का उल्लंघन सही पाये जाने पर एस्टेट आफीसर ने 2001 में 18 स्कूलों का भूमि आवंटन रद्द कर दिया था लेकिन स्कूल प्रबधकों ने राजनेतिक व आर्थिक दबाव के चलते प्रशासक हुडा से एस्टेट आफिसर के आदेश का निरस्त करा दिया था।