December 23, 2024

अभिभावक मंच ने कहा सबूत बच्चों के बस्ते में, स्कूलों में जाकर अधिकारी करें चेक

Faridabad/Alive News: शिक्षा निदेशालय पंचकूला ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश भेज कर कहा है कि वे सभी सरकारी व निजी स्कूलों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम से जुड़ी पुस्तकें ही लगवाना सुनिश्चित करें अगर कोई स्कूल संचालक उनकी जगह प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें लगाता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनके नाम शिक्षा निदेशक को भेजें, इसके अलावा स्कूलों में जाकर नर्सरी से लेकर 12वीं तक के बच्चों के बस्ते का जो बज़न निर्धारित किया गया है। उसकी जांच करें अगर बजन ज्यादा मिलता है तो उस पर भी कार्रवाई करें।

हरियाणा अभिभावक एकता मंच का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी इन आदेशों का पालन नहीं करवा पा रही हैं। मंच का आरोप है कि जिला शिक्षा अधिकारी इन आदेशों पर तब कार्रवाई करते हैं जब अभिभावक पूरी तरह से लूट पिट जाते हैं और प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें खरीद लेते हैं। खाना पूर्ति के लिए नामी गिरामी स्कूलों की जगह 2,,3 छोटे स्कूलों में जाकर कार्रवाई की जाती है। आपसी सांठगांठ के चलते पिछले 3 साल से ऐसा ही खेल चल रहा है।

मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि मंच की ओर से 3 अप्रैल को डीईओ को पत्र भेजकर सूचित किया गया था कि प्राइवेट स्कूल संचालक अपने स्कूल के अंदर खुली दुकानों से या बाहर बताई गई अपनी दुकानों से एनसीईआरटी की किताबों की जगह कमीशन खाने के चक्कर में प्राइवेट प्रकाशकों की मोटी और महंगी किताबें पेरेंट्स से खरीदवा रहे हैं। इससे एक तो पेरेंट्स पर आर्थिक दबाव पड़ रहा है दूसरा केंद्र और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किए गए बजन से ज्यादा बजन बच्चों के बस्ते पर डाला जा रहा है। मंच का आरोप है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने अभी तक मंच के पत्र पर कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की है।

मंच ने इसकी शिकायत शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा से की है। मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा व लीगल एडवाइजर एडवोकेट बीएस बिरदी ने कहा है जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय स्कूलों की इस मनमानी का सबूत मांग रहा है जबकि सबूत अपने मासूम कंधों पर भारी भरकम बस्ते का बोझ लादकर स्कूल जा रहे छात्रों के बस्ते में मौजूद है। जो सबको तो दिखाई दे रहा है लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी को नहीं दिखाई दे रहा है। अभिभावक स्कूलों की मनमानी के शिकार हो रहे हैं, परेशान हैं, दुखी हैं लेकिन इसका असर ना तो स्कूल वालों पर हो रहा है और ना शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन के अधिकारियों पर हो रहा है।