वॉशिंगटन : पाकिस्तान ने पठानकोट हमले की जांच को लेकर बड़ा एलान किया है। नवाज शरीफ के फॉरेन अफेयर्स एडवाइजर सरताज अजीज ने कहा है कि हमले के मास्टरमाइंड मौलाना मसूद अजहर को पूछताछ के लिए हम भारत के सामने पेश कर सकते हैं। लेकिन इससे पहले हम खुद इस मामले में जांच करेंगे। बता दें कि अजहर वही आतंकी है, जिसे 1999 में कंधार प्लेन हाईजैक केस में भारत ने पैसेंजरों की सेफ रिहाई के बदले छोड़ा था। अजीज ने और क्या कहा…
– वॉशिंगटन पहुंचे अजीज ने डिफेंस राइटर्स ग्रुप के साथ बातचीत में कहा, “सबसे पहले हम इस मामले की खुद जांच करेंगे। अगर मसूद ने कुछ गलत किया है, तो हम उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।”
– अजीज से दो बार पूछा गया कि क्या पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद के सरगना अजहर के खिलाफ कार्रवाई करेगा और उसे पूछताछ के लिए भारत को मुहैया कराएगा?
– उन्होंने कहा, “पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान का रिस्पॉन्स पॉजिटिव रहा है। प्राइम मिनिस्टर (नवाज शरीफ) ने तुरंत भारत के पीएम (मोदी) को कॉल किया था और मदद की पेशकश की थी।”
– “भारत से हमें जो भी इंटेलिजेंस इन्फॉर्मेशन मिली, उस पर तुरंत कार्रवाई की गई। कुछ संगठनों के नेताओं को प्रोटेक्टिव कस्टडी में लिया गया है। कुछ को नजरबंद किया गया है।”
– “हमने ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई है। हम उसे (अजहर को) पूछताछ के लिए भारत को मुहैया करा सकते हैं।”
– नवाज शरीफ के एडवाइजर ने मनोहर पर्रिकर के उस कमेंट को भी आउटडेटेड करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान सरकार की मदद से वहां से नॉन स्टेट एक्टर्स आतंक को बढ़ावा देते हैं।
– अजीज ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पठानकोट हमले की जांच के लिए पाकिस्तान में बनी ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन टीम अगले कुछ दिन में भारत जाएगी।
पाकिस्तान के दावों में कितना दम?
अजीज ने भले ही कहा है कि पाकिस्तान भारत को मसूद अजहर से पूछताछ की इजाजत दे सकता है, लेकिन हमलों की जांच के मामलों में उनके मुल्क का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा है।
1. मुंबई हमलों के गुनहगार अब तक गिरफ्त से बाहर
– पाकिस्तान अजहर पर केस चलाएगा या उसे भारत को सौंपेगा, इसकी ज्यादा उम्मीद नहीं है, क्योंकि मुंबई हमलों के बाद इंटरनेशनल प्रेशर के चलते पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी को तो पकड़ा था, लेकिन उस पर आज तक मजबूत केस नहीं चल पाया।
– भारत ने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद और लखवी के खिलाफ पाकिस्तान को कई बार सबूत भेजे। लेकिन दोनों खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
– पाकिस्तान की कोर्ट में भी इन दोनों के खिलाफ केस की सुनवाई लगातार टलती जा रही है।
2. जिस कमेटी में आईएसआई और पाक मिलिट्री के अफसर, क्या वह कर पाएगी जांच?
– नवाज शरीफ ने एक जांच कमेटी बनाई है, जो पठानकोट हमले को लेकर सबूतों और आरोपों की जांच करेगी।
– कमेटी में टॉप सिविल और मिलिट्री सिक्युरिटी अफसर, जैसे काउन्टर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) के आईजी, एडिशनल आईजी (सीटीडी), खैबर पख्तूनवा आईबी के डायरेक्टर, फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईए) के डायरेक्टर, आईएसआई से ब्रिगेडियर नोमान सईद और मिलिट्री इंटेलिजेंस से ले. कर्नल इरफान मिर्जा हैं।
– इस कमेटी से कार्रवाई की ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती, क्योंकि आईएसआई भारत के खिलाफ आतंकियों की मदद करती रही है।
– पाक मिलिट्री के भी कुछ अफसरों पर आतंकियों की मदद के आरोप लगते रहे हैं।
3. हेडली के मामले से भी इनकार
– मुंबई हमलों के केस में शिकागो की जेल में बंद आतंकी डेविड हेडली के पाकिस्तानी मददगारों के खिलाफ भी पाकिस्तान ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पठानकोट हमले में अब तक क्या हुआ?
1. कब हुआ हमला?
– 2 जनवरी की सुबह 6 पाकिस्तानी आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया। इसमें 7 जवान शहीद हो गए।
– 36 घंटे एनकाउंटर और तीन दिन कॉम्बिंग ऑपरेशन चला।
– यह बात सामने आई कि हमले का मास्टरमाइंड जैश-ए-मोहम्मद का चीफ मौलाना मसूद अजहर है।
– अजहर को 1999 में कंधार प्लेन हाईजैक केस में पैसेंजरों की रिहाई के बदले छोड़ा गया था।
2. पाक ने पहले किया इनकार
– पाकिस्तान शुरुआत में इस बात से इनकार करता रहा कि पठानकोट हमले को अंजाम देने आए आतंकी उसके मुल्क से नहीं घुसे थे।
3. बाद में भारत ने सौंपना शुरू किए सबूत
– हमले के बाद भारत ने सबूत दिए कि 1 जनवरी को सुबह 9.20 बजे नासिर नाम के आतंकी ने ज्वैलर राजेश वर्मा के मोबाइल फोन से पाकिस्तान के नंबर +92-3000957212 पर कॉल किया था।
– राजेश वही ज्वैलर है, जो गुरदासपुर के पूर्व एसपी सलविंदर सिंह के साथ उस कार में मौजूद था, जिसे आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था।
– आतंकी नासिर ने अपने भाई बाबर, चाचा और मां से करीब 18 मिनट बात की थी।
– भारत ने इसके अलावा आतंकियों की बातचीत के कॉल डिटेल्स भी पाक को सौंपे।
4. FIR में नहीं था अजहर का नाम
– पठानकोट आतंकी हमले के डेढ़ महीने बाद पाकिस्तान में एक एफआईआर दर्ज की गई थी। हालांकि, इसमें मौलाना मसूद अजहर का नाम नहीं है।
– हमले के बाद पाकिस्तान में बनी एसआईटी ने सिफारिश में कहा था कि जैश-ए-मोहम्मद के चीफ और हमले के मास्टरमाइंड अजहर पर भी एफआईआर होनी चाहिए।
5. अजीज ने माना- प्रोटेक्टिव कस्टडी में है मसूद
– अजीज ने फरवरी में एक चैनल को दिए इंटरव्यू में पहली बार माना कि जैश-ए-मोहम्मद चीफ मसूद अजहर पाकिस्तान की कस्टडी में है। उसे 14 जनवरी को डिटेन किया गया था।
– अटैक के दौरान इस्तेमाल किया गया एक सिम एक्टिव है, जबकि बाकी एक्टिव नहीं हैं। मोबाइल नंबर की लोकेशन्स जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टर की मिली है।
6. डोभाल-जंंजुआ के बीच सीक्रेट मीटिंग
– नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल ने दूसरी बार पाकिस्तान के एनएसए लेफ्टिनेंट जनरल नसीर खान जंजुआ से सीक्रेट मीटिंग की।
– दोनों जनवरी के दूसरे हफ्ते में पेरिस में मिले थे। लेकिन यह खबर फरवरी के आखिर में आई।
– जब डोभाल और जंजुआ की पेरिस में मुलाकात हुई, उससे पहले ही भारत ने पठानकोट हमले में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ होने के सबूत जुटा लिए थे।
किस हाईजैकिंग केस में छोड़ा गया था अजहर ?
– अजहर वही आतंकी है, जिसे 16 साल पहले प्लेन हाईजैक किए जाने के बाद कंधार में छोड़ा गया था।
– 24 दिसंबर, 1999 को पांच हथियारबंद आतंकवादियों ने 178 पैसेंजरों के साथ इंडियन एयरलाइन्स के आईसी-814 प्लेन को काठमांडू से हाईजैक किया था।
– प्लेन को अमृतसर, लाहौर और दुबई के रास्ते अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट ले जाया गया था।
– आतंकियों ने भारत सरकार से 178 पैसेंजरों को छोड़ने के बदले तीन आतंकियों की रिहाई का सौदा किया।
– उस वक्त की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पैसेंजरों की जान बचाने के लिए तीनों आतंकियों को छोड़ने का फैसला किया।
– भारत की जेलों में बंद आतंकी मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख को कंधार ले जाया गया था।
रिहाई के बाद अजहर ने क्या किया?
– रिहाई के बाद अजहर तालिबान की मदद से अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान पहुंचा। उसने कश्मीर में इंडियन फोर्स से लड़ने के लिए 2000 में जैश-ए-मोहम्मद बनाया।
– यह भी आरोप लगता रहा है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई जैश के आकाओं की मदद करती है।
– 2001 में पार्लियामेंट में हुए आतंकी हमले में अजहर प्राइम सस्पेक्ट था।
– उस वक्त पाकिस्तान ने अजहर के खिलाफ कार्रवाई करने और उसे भारत को सौंपने से इनकार कर दिया था।
– खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि पाकिस्तानी मिलिट्री अजहर जैसे आतंकियों को कोल्ड स्टोरेज में रखती हैं, जो उन्हें भारत के खिलाफ लड़ाई में मदद करते हैं। मिलिट्री उन्हें कट्टरपंथी के रूप में पेश करती है, ताकि उन पर कार्रवाई न करनी पड़े।