November 13, 2024

भारत में एक नहीं बल्कि पांच बार मनाया जाता है न्यू ईयर, पढ़िए खबर

Lifestyle/Alive News: सर्वधर्म समभाव की भावना सिवाय भारत के, कहीं और शायद ही देखने को मिलती है। इसकी यही विशेषता इसे पूरे विश्व में सबसे अलग बनाता है।इस भावना की वजह यहां हर जाति और धर्म के रहने वाले लोग हैं, जो सभी तीज त्योहारों को मिलकर एक साथ मनाते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं भी देते हैं।

इन नव वर्षों पर भी एक जनवरी जैसी धूम देखने को मिलती है। अलग-अलग संप्रदाय के होने के बावजूद लोग मिलकर इन नववर्षों को मनाते हैं, जो इनकी धूम को और अधिक बढ़ा देते हैं।

भारत और नववर्ष के अनेक रंग

नववर्ष सभी धर्म संप्रदाय के लोग भले ही अलग अलग समय में मनाते हों लेकिन उसका उत्सव पूरा देश एक साथ मिलकर मनाता है। ऐसे में आइए आज हम जानते हैं कि कब किस धर्म संप्रदाय के लोग नवबर्ष मनाते हैं-

हिंदू नववर्ष
चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ही असल हिंदू नववर्ष की शुरुआत हुई थी। इसके पीछे की मान्यता है कि देव युग में ब्रह्मा जी ने इसी दिन से सृष्टि की रचना शुरू की थी । इसीलिए इस दिन को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से ही विक्रम संवत की भी शुरुआत हुई थी।

ईसाई नववर्ष
सबसे पहले रोमन शासक जुलियस सीजर ने एक जनवरी को नववर्ष के रूप में मनाया था। लेकिन बाद में पोप ग्रेगरी ने इसमें भी कुछ संशोधन करते हुए अपने धर्म गुरु, जो कि उस समय के सबसे अच्छे धर्म गुरु थे, से मंत्रणा कर लीप ईयर को जोड़ते हुए नए ग्रेगोरियन कैलेंडर को बनाया। इसमें भी एक जनवरी को ही नववर्ष मनाया गया। तब से लेकर अब तक इसी ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार पूरे विश्व में एक जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है।

पारसी नववर्ष
पारसी लोग नवरोज के रूप में 19अगस्त को नववर्ष मनाते हैं। माना जाता है कि 3000 वर्ष पूर्व इसे सबसे पहले शाह जमशेदजी ने मनाया था।

पंजाबी नववर्ष
सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार वैशाखी के दिन से सिख धर्म के लोग अपना नववर्ष मनातें है।

जैन धर्म नववर्ष
दीपावली के अगले दिन से जैन समाज के लोग नववर्ष मनाते हैं। इसे वीर निर्वाण सम्वत भी कहा जाता है।