Kurukshetra/Alive News : राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि भारत सरकार के प्रयासों से भारत एक भारतीय एक के कथन की तरफ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। एक नये भारत का निर्माण करने के लिए लोक संस्कृति का विकसित होना बहुत जरूरी है,क्योकि लोक संस्कृति के माध्यम से ही नये भारत का उदय संभव है। इसलिए लोक संस्कृति को विकसित करने के लिए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने भारत का सांस्कृतिक मानचित्र योजना को अमलीजामा पहनाने का कार्य किया है।
इतना ही नहीं भारत सरकार ने इस योजना के लिए 470 करोड रुपए का बजट भी तय किया है। राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी शनिवार को मैक के प्रांगण में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला, जिला प्रशासन व विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के सहयोग से आयोजित भारत का सांस्कृतिक मानचित्र के तहत थानेसर की सांस्कृतिक प्रतिभा खोज एवं सम्मान समारोह कार्यक्रम का शुभांरभ करने के दौरान बोल रहे थे।
इससे पहले राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार के सयुंक्त सचिव प्रणव खुल्लर, भारत सांस्कृतिक मानचित्र की राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य डॉ.रामेन्द्र सिंह, अतिरिक्त उपायुक्त पार्थ गुप्ता, एनजेडसीसी पटियाला के निदेशक फुरकान खान, आरएसएस के प्रदेश विभाग प्रचारक नरेन्द्र ने थानेसर ब्लॉक के कलाकारों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान थानेसर ब्लाक से ग्रामीण आंचल की महिलाओं ने परंपरागत लोक गीतो और जंगमजोगियों ने शिव की महिमा का गुणगान कर राज्यपाल का स्वागत किया।
इसके बाद राज्यपाल ने दीप शिखा प्रज्जवलित कर विधिवत रूप से कार्यक्रम का शुभांरभ किया। इस कार्यक्रम में राज्यपाल ने विश्व विख्यात पदमश्री वसीफुद्दीन डागर, विश्व विख्यात कत्थक नृत्यंागना नलिनी कमलिनी, राज्य पुरस्कार सम्मानित विश्व विख्यात गायक सरदूल सिकन्दर को शाल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। राज्यपाल ने भारत सांस्कृतिक मानचित्र योजना के लिए सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत बेशक राजनीतिक दृष्टि से आजाद हो गया है, लेकिन सांस्कृतिक दृष्टि से अभी आजादी बाकी थी। लेकिन भारत सरकार के प्रयासों से अब देश की सांस्कृति को मजबूत करने के प्रयास शुरू कर दिए गए है।
जब देश की संस्कृति समृद्ध होगी तभी नवीन भारत का सपना पूरा हो सकेगा। कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर 5 हजार 153 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने गीता के संदेश के माध्यम से जीवन शैली के बारे में बताने का प्रयास किया। भारत की प्राचीन संस्कृति पूरी दुनिया में निराली है।