November 18, 2024

‘आम की टोकरी’ कविता पर विवाद के पश्चात एनसीईआरटी ने दी ये सफाई

New Delhi/Alive News: ‘आम की टोकरी’ कविता को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद खड़े होने के पश्चात राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने स्पष्टीकरण दिया है। आपको बता दे कि पहली कक्षा की हिंदी की किताब में छपी कविता ‘आम की टोकरी’ में आए ‘छोकरी’ शब्द को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा हो गया था और इसे पाठ्यक्रम से बाहर करने की मांग की जा रही थी।

जिसके बाद एनसीईआरटी ने इसे लेकर सफाई देते हुए कहा है कि ये कविता स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुंचाने के उद्देश्य से शामिल की गई है। एनसीईआरटी का कहना है ‘एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक में दी गई कविताओं के संदर्भ में एन.सी.एफ-2005 के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुंचाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ये कविताएं शामिल की गई हैं ताकि सीखना रुचिपूर्ण हो सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इसी पाठ्यचर्या की रूपरेखा के आधार पर भविष्य में पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया जाएगा। एनसीईआरटी ने इस कविता को लेकर सफाई ट्विटर के जरिए दी है।

File Photo

क्या है पूरा मामला
दरअसल, इस कविता के छोकरी शब्द को लेकर सोशल मीडिया पर पिछले काफी दिनों से विवाद खड़ा हुआ था। हिंदी भाषा के कई जानकार और सोशल मीडिया यूजर्स इस कविता को पाठ्यपुस्तक से हटाने की मांग कर रहे थे। छोकरी शब्द को कई लोग आवारा बोल चाल की भाषा बता रहे थे और यह भी तर्क दे रहे थे कि पहली कक्षा के छात्र अगर इस शब्द को पढ़ेंगे तो उनके मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ेगा। यह भी कहा जा रहा था कि इस कविता में छह साल की बच्ची से आम बिकवा कर बाल मजदूरी को प्रदर्शित किया जा रहा है। इस तरह के तमाम सोशल मीडिया विमर्श और विरोध के बाद इस कविता पर एनसीईआरटी ने स्पष्टीकरण दिया है।

 किसने लिखी है यह कविता
जानकरी के मुताबिक यह कविता रामकृष्ण शर्मा खद्दर ने लिखी है। कविता पहली कक्षा के बच्चे 2006 से लगातार पढ़ रहे हैं। साल 2018 से उत्तराखण्ड के बच्चे भी अब इस कविता को पढ़ रहे हैं। यह कविता राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् द्वारा तैयार की गई किताब रिमझिम 1 का हिस्सा है।