Faridabad/Alive News
जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यह सर्वविदित है कि प्राकृतिक घटना होने के बावजूद जलवायु परिवर्तन के मामले मानव गतिविधियों से भी बढ़ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन को लेकर बनी आपदा नीति कई कारकों पर निर्भर करती है, मसलन, जलवायु परिवर्तन की वास्तविकता स्वीकार करने की तैयारी, जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों का मूल्यांकन करने की इच्छाशक्ति और विकास रणनीतियों के अंतर्गत प्रबंधन। जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन की शिक्षा लागू करने के अपने प्रयास के तहत मानव रचना एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस (एमआरईआई) ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ रिलीफ (सीएसएआर) के सहयोग से आज यहां एमआरईआई कैंपस में जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन पर एक वैचारिक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत एमआरईआई के छात्रों द्वारा देशभक्ति गीत ‘वंदे मातरम’ के सुमधुर गायन से हुआ।
इस मौके पर वाइस चांसलर डॉ. एन.सी.वाधवा ने कहा, कृषि और वैज्ञानिक गतिविधियों ने हमारे पर्यावरण को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। विश्व में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक आपदा की घटनाएं होने लगी हैं, लिहाजा हमारे लिए ऐसी वैधानिक नीतियों और कार्यक्रमों के साथ मुस्तैद रहने का वक्त आ गया है जिसके तहत हम भविष्य की पीढिय़ों के अस्तित्व के लिए काम कर सकें। वहीं सीएसएआर के चेयरमैन और भारत सरकार के पूर्व सचिव डॉ. हरजीत एस. आनंद सेमिनार के विषय पर गहरी जानकारी और इसके तथ्यों का जिक्र करते हुए कहा, यह कहना मुश्किल है कि आपदा प्रबंधन के मुद्दे को क्या संचालित करता है। इस संबंध में असुरक्षित जोखिम में कटौती का अहम महत्व है। उन्होंने यह भी कहा, इसके लिए एक वैज्ञानिक और संवेदनशील पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करना जरूरी है। इस मौके पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य डॉ. कमल किशोर ने कहा, आपदाओं पर हमारी रिपोर्टिंग अपर्याप्त है। हम जिंदगियां बचाने के लिए अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन आजीविका बचाने में हमारा खराब काम है। इसके अलावा जोखिम प्रबंधित करने की बार-बार दोहराती प्रक्रिया में फिजिकल और नॉन फिजिकल के बीच सामंजस्य पैदा करना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि कोई ऐसा क्षेत्र जलवायु परिवर्तन से अछूता नहीं है और सभी क्षेत्रों के बारे में जानकारी बढ़ाना हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। डॉ. संजय श्रीवास्तव, एमडी, एमआरईआई तथा वीसी, मानव रचना यूनिवर्सिटी ने समापन भाषण दिया और बताया कि एमआरईआई के पीएचडी एवं सीनियर छात्रों को कैसे इस प्रतिष्ठित सेमिनार का फायदा हुआ है और यह सीएसएआर के साथ साझेदारी का एक आनंददायी क्षण रहा।