November 16, 2024

मुंबई हमले को हुए 9 साल, इन्साफ का है इंतज़ार

Mumbai/Alive News : मुंबई हमले को नौ साल हो गए हैं। इन नौ सालों में कई परिवार हैं जिन्हें इंसाफ का इंतजार है जबकि पाकिस्तान में मुंबई हमलों के मुख्य आरोपी हाफिज सईद को पाक की अदालत ने रिहा कर दिया है। मुंबई हमलों में अपने पिता को खो चुकीं रवीना बांभनिया अब बड़ी हो गई हैं। अब वो एक टीचर बनना चाहती हैं और मां परिवार चलाने के लिए हर दिन जूझ रही है। रमेश सरकारी दस्तावेजों में आज भी मिसिंग पर्सन हैं।


2008 में रवीना सात साल की थीं, जब उसके रिश्तेदार उसके पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने आए थे। रमेश बांभनिया को 26 नवंबर 2008 को मछली पकड़ने वाली उसकी बोट के साथ ही आतंकियों ने अपहरण कर लिया था और बाद में उसे मार दिया था।

गुजरात के उना ताल्लुका के सिमासी गांव में उस रात आतंकियों ने चार मछुआरों का अपहरण कर लिया था। जब मुबंई के तट पर कैप्ट‍न अमर सिंह सोलंकी की बॉडी मिली थी तब और सभी मछुआरों का कोई नामोनिशन नहीं मिला था। आधिकारिकतौर पर सरकार ने उन्हें मृत घोषित नहीं किया है।

परिवार चलाने के लिए कंपनी ने 75000 रुपये दिए थे लेकिन उसका पैसा चार बच्चों को पालने के लिए नाकाफी साबित हुए। रमेश के स्कूल गोइंग चार बच्चे थे जिसमें बेटा महेश, बेटी रीना, रवीना और मनीषा शामिल थीं।
परिवार चलाने के लिए मां का हाथ बंटाने और बहनों को पढ़ाने के लिए महेश ने स्कूल जाना छोड़ दिया और दिहाड़ी मजदूर बन गया। पिता की मौत के समय वह 8 वीं में पढ़ता था। बड़ी बहन रीना की शादी कर दी है जबकि रवीना ने मां का हाथ बटाते हुए पढ़ाई जारी रखी। हाईअर एजुकेशन के लिए वो रोज 5 किलोमीटर तक जाती रही।

जब रवीना 10वीं में थी तब उसे बुखार आया और वो परीक्षा में नहीं बैठ पाई और उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी और फिर उसने मां के साथ खेती में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। रमेश की पत्नी जासी कहती हैं कि अब मुंबई हमले को 9 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन सरकार ने अभी तक रमेश का डेथ सर्टिफिकेट नहीं दिया है और न ही कोई वित्तीय सहायता ही दी है। जासी वित्तीय मदद के लिए कई अधिकारियों के पास चक्कर लगा चुकी है लेकिन बिना डेथ सर्टिफिकेट के उसे कोई सरकारी सहायता नहीं मिलेगी।

गिर सोमनाथ के जिला अधिकारी अजय प्रकाश ने कहा कि फिशरिश विभाग ने रमेश के परिवार को मिसिंग की सूचना के बाद डेढ लाख रुपये दिया था। प्रकाश ने बताया कि फिशरिश विभाग ने राज्य सरकार को पत्र भेज कर रमेश को मृत घोषित करने की बात कही थी लेकिन विभाग ने उस प्रपोजल पर अभी तक कोई काम नहीं किया है। लेकिन आज भी सारा परिवार एकदूसरे को सपोर्ट कर अपने पिता के डेथ सर्टिफिकेट के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है।