December 24, 2024

मातृभाषा किसी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान : डॉ. पुष्पा

Kurukshetra/Alive News : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के हिंदी विभाग में बुधवार को मातृभाषा दिवस मनाया गया। हिंदी विभग की अध्यक्ष डॉ. पुष्पा रानी ने बताया कि जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है, उसे मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा किसी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान है तथा हमें राष्ट्रीयता से जोडती है और देशप्रेम से उत्प्रेरित करती है। मातृभाषा आत्मा की आवाज है, मातृभाषा राष्ट्रीयता को सींचती है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण का सशरक्त साधन है, जिस देश की अपनी मातृभाषा नहीं होती, वह राष्ट्र गूंगा होता है। हमारे संविधान के अनुच्छेद 345 में देश के सभी कार्यो के लिए हिंदी या राज्यों की भाषा का प्रयोग होना चाहिए। संविधान की आठवी सूची में 22 भाषाओं का प्रावधान है, फिर भी कार्यालयों में कामकाज अंग्रेजी में होता है।

आज कई विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है। अंग्रेजी की चाहत में हम अपनी भाषाओं से अनभिज्ञ रहते हुए अपनी बहुमूल्य सम्पदा को नष्ट कर रहे हैं। बच्चों के मानसिक विकासा के लिए मातृभाषा वैसे ही आवश्यक है, जैसे बच्चे के शारीरिक विकास के लिए मां का दूध। आज मातृभाषा की अपेक्षा विदेशी भाषा को बोलना भारतीय अपने आपको सभ्य और प्रतिष्ठित मानते हैं, यह उनका भ्रमजाल है। विश्व के सम्पन्न देशों की शिक्षा एवं शासन की भाषा वहां की मातृभाषा ही है।

मातृभाषा सीखने, समझने एवं ज्ञान की प्राप्ति के लिए सरल एवं सहज भाषा है। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने अपना प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही प्राप्ति की थी। महात्मा गांधी जी ने भी कहा था कि विदेशी भाषा में शिक्षा के माध्यम को बच्चों पर बोझ डालना होगा। यदि मातृभाषा में शिक्षा का माध्यम नहीं होगा तो बच्चे रटने के लिए मजबूर हो जाएंगे। भारतवर्ष के जितने भी संत और महात्मा हुए हैं उन्होंने अपनी वाणी मातृभाषा में बात की है और वे विश्व प्रसिद्ध हुए। वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हम उनकी वाणी का चिंतन मनन करते हैं। प्रत्येक कार्य को अपनी मातृभाषा में करेंगे तो देश में भावनात्मक तथा सांस्कृतिक एकता स्थापित कर सकेंगे।
विभाग के प्रो. सुभाष चन्द ने कहा कि मातृभाषा के महत्व को समझते हुए यूनेस्कों ने 17 नवम्बर 1999 को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की स्वीकृति दी थी। विश्वभर में भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है। इस अवसर पर विभाग के शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।