Lifestyle/Alive News: अगर आप दिल्ली या आस-पास के इलाकों में रहते हैं, तो कबूतरों से तो अक्सर पाला पड़ जाता होगा। वैसे तो, ये काफी शांत जीव होते हैं, लेकिन इनकी बीट के कारण इंसानों को काफी परेशानियां (Pigeon Dropping Risk) हो सकती हैं। कबूतरों की बीट में पाया जाने वाला केमिकल और रोगाणु इंसानों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसलिए इनके संपर्क में आने से बचना जरूरी है। इस आर्टिकल में जानेंगे कि कैसे कबूतर की बीट आपको नुकसान पहुंचा सकती है।
हिस्टोप्लाज्मा: यह एक फंगल इन्फेक्शन है, जो कबूतरों की बीट में पाए जाने वाले हिस्टोप्लाज्मा कैप्सुलैटम नाम के फंगस के कारण होता है। इस इन्फेक्शन से फेफड़ों में सूजन हो सकती है, जिससे खांसी, बुखार, और छाती में दर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं। गंभीर मामलों में, यह संक्रमण दिल, दिमाग, या अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
क्रिप्टोकोक्कोसिस- यह एक फंगल इन्फेक्शन है, जो क्रिप्टोकोक्कस नीफॉर्मिस नाम के फंगस के कारण होता है। यह फंगस कबूतरों की बीट में पाया जाता है और सांस लेने के दौरान शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह संक्रमण फेफड़ों में सूजन और दिमाग में इन्फेक्शन का कारण बन सकता है, जिससे सिरदर्द, उल्टी, और चक्कर आने जैसी शुरुआती समस्याएं हो सकती हैं।
साल्मोनेला- साल्मोनेला बैक्टीरिया कबूतरों की बीट में पाया जाता है और फूड आइटम्स को दूषित कर सकता है। साल्मोनेला इन्फेक्शन से दस्त, बुखार, उल्टी, और पेट में दर्द हो सकता है।
ई. कोलाई- ई. कोलाई बैक्टीरिया भी कबूतरों की बीट में पाया जाता है और खाने की चीजों को दूषित करता है। ई. कोलाई इन्फेक्शन से दस्त, बुखार, उल्टी, और पेट में दर्द हो सकता है।
कैम्पाइलोबैक्टर- कैम्पाइलोबैक्टर बैक्टीरिया भी कबूतरों की बीट में पाया जाता है और फूड आइटम्स को दूषित कर सकता है। कैम्पाइलोबैक्टर के इन्फेक्शन से भी दस्त, बुखार, उल्टी, और पेट में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।