ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 19 जून 2021 शनिवार को है। हिंदू धर्म में इस पर्व की काफी अहमियत है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि महेश नवमी के दिन व्रत रखकर यदि भगवान शिव और मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाए तो भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस मौके पर यदि भगवान शिव का अभिषेक किया जाए तो महादेव भक्त से प्रसन्न होकर उसकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं। मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के आशीर्वाद से महेश नवमी के मौके पर ही महेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी।
महेश नवमी की पूजा विधि
महेश नवमी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें। जलाभिषेक के बाद भोलेनाथ को बेलपत्र, भांग, धतूरा, पुष्प आदि अर्पित करें। शिव मंत्र के जप के साथ ही शिव चालीसा का पाठ करें।
महेश नवमी की कथा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माहेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश के थे। शिकार के दौरान वे ऋषियों के शाप से ग्रसित हुए। तब भगवान शिव ने उन्हें शाप से मुक्त कर उनके पूर्वजों की रक्षा की व उन्हें हिंसा छोड़कर अहिंसा का मार्ग बताया था। महादेव ने अपनी कृपा से उस समाज को अपना नाम भी दिया इसलिए यह समुदाय ‘माहेश्वरी’ नाम से प्रसिद्ध हुआ। भगवान शिव की आज्ञा से ही माहेश्वरी समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य समाज को अपनाया। तब से ही माहेश्वरी समाज व्यापारिक समुदाय के रूप में पहचाना जाता है।