Faridabad/Alive News: 35वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला में जहां एक ओर विभिन्न प्रदेशों और देशों के कलाकार अपनी शानदान प्रस्तुतियों से पर्यटकों पर अमिट छाप छोड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विभिन्न प्रदेशों व देशों के शिल्पकार अपने हाथों से उकेरी गई अद्भुत पेंटिंग की ओर भी पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। ऐसी ही 77 वर्षीय बिहार के मधुबनी की पदमश्री पुरस्कार विजेता बऊआ देवी भी अपनी मधुबनी पेंटिंग्स से लगातार पर्यटकों को लुभा रहीं हैं।
उन्होंने जगरनाथ झा से शादी के बाद 1962 में मधुबनी पेंटिंग शुरू की। उनकी तीन पीढियां इस पुस्तैनी कार्य को नई ऊचाइयों तक पहुंचाने में लगी हुई हैं। यह शिल्पकार बांस की कलम से कौटन व पेपर पर पेंटिंग बनाते हैं तथा इनमें फूलपत्ती के कलर का प्रयोग करते हैं। शिल्पकार बऊआ देवी को 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पदमश्री पुरस्कार प्रदान किया था। इन्हें दो बार इस शिल्प मेला में कलानिधि पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
आज उनके दो पुत्र एवं पांच पुत्रियां पेंटिंग के कार्य को निरंतर आगे बढा रहे हैं। यह अपनी पेंटिंग्स को विभिन्न स्थानों पर आयोजित होने वाली प्रदर्शनियों में प्रदर्शित करते हैं। बिहार के ग्रामीण आंचल में भी इनकी पेंटिंग की काफी मांग हैं। इसके अलावा वे बड़ी पेंटिंग्स को जापान, जर्मनी, अमेरिका, फ्रांस आदि विदेशों में भी निर्यात करते हैं। उन्हें पेंटिंग बनाने में एक से 15 दिन का समय लगता है, जो पेंटिंग के आकार पर निर्भर करता है।