November 17, 2024

यहां जानें एकदंत चतुर्थी व्रत का महत्व और पूजा विधि

इस साल एकदंत संकष्टी चतुर्थी आज यानि कि 29 मई शनिवार, ज्येष्ठ माह की तृतीया तिथि को मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में एकदंत संकष्टी चतुर्थी का बहुत महत्व होता है। संकष्टी चतुर्थी पूज्य गणेश भगवान को समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विघ्नहर्ता भगवान गणेश इस व्रत को करने वाले सभी जातकों के जीवन के कष्ट हर लेते हैं और उनके बिगड़े हुए काम भी बनाते हैं।

महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वाले भक्तों पर गणेश भगवान का आशीर्वाद बना रहता है और मार्ग में आने वाले सभी संकट भी दूर हो जाते हैं। एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा के बाद कथा का प्रावधान है। कुछ लोग संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत करते है।

पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने बाद पूजाघर की साफ- सफाई करें और व्रत का संकल्प लें और पूजा शुरू करें। गणेश भगवान की प्रिय चीजें पूजा में अर्पित करें और उन्हें मोदक का भोग लगाएं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक रखा जाता है। चंद्रमा दर्शन के बाद ही गणेश चतुर्थी व्रत पूर्ण माना जाता है। इसके बाद व्रती व्रत का पारण कर सकता है।

व्रत के नियम
संकष्टी चतुर्थी पर निर्जला व्रत की जाती है। वहीं, कई लोग फलाहार ग्रहण करके भी उपवास रखते हैं। पूजा के बाद आप फल, मूंगफली, खीर, दूध या साबूदाने का सेवन कर सकते हैं। कई लोग इस व्रत में सेंधा नमक का इस्तेमाल भी करते हैं।